शख्सियत

स्वैच्छिक चकबंदी और बागवानी के प्रेरक बने ‘भरत’

https://bolpahadi.blogspot.in/
उत्तरकाशी जिले के नौगांव
विकासखंड अंतर्गत हिमरोल गांव के भरत सिंह राणा अपने क्षेत्र में लोगों को
स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित कर मिसाल बन रहे हैं। जगह-जगह बिखरे खेतों की
चकबंदी कर विभिन्न प्रजाति के फल पौधों का रोपण किया
, पॉली हाउस, ड्रिप
एरीगेशन
, पाइप लाइन, दो सिंचाई हौजों का निर्माण करके बागवानी
शुरू की है।
एक और जहां भरत सिंह लोगों को स्वैच्छिक
चकबंदी के लिए प्रेरित कर रहे हैं
, तो
वहीं दूसरी ओर कृषि बागवानी के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं। उन्होंने बंजर पड़ी जमीन
पर एक हेक्टेयर का चक गांव वालों के साथ
सटवाराकरके
बनाया है। अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन्होंने इस जमीन पर जो कर दिखाया
, वह पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत
है। इसी एक हेक्टेयर भूमि पर वह पिछले कुछ वर्षों से वैज्ञानिक तरीके से बागवानी
, सब्जी उत्पादन, जड़ी-बूटी, सगंधीय
पौध
, हर्बल चाय, कई प्रकार के फूल, मत्स्य पालन आदि कई तरह के नगदी फसलों की
खेती कर रहे हैं। जिसको देखने के लिए भारत के ही नहीं बल्कि इंग्लैंड
, नीदरलैंड, नेपाल आदि देशों से भी ग्रुप आते रहते हैं।
इसके साथ ही कृषि विभाग के सहयोग से पाली
हाउस में विभिन्न प्रकार की सब्जियां तथा फल पौधों का नई तकनीकी से उत्पादन किया
जाता है। बाग में लगे फल पौधे सेब
, नाशपाती, आलू, पुलम, खुमानी, चुल्लू, अखरोट, सेरोल, अंगूर, नींबू, स्ट्रॉबेरी
आदि के साथ-साथ सब्जियां टमाटर
, बीन, आलू, फूलगोभी, बंदगोभी, चप्पन कद्दू, शिमला मिर्च, लौकी, बैंगन, गाजर, मूली, शलजम तथा शैड के भीतर मशरूम उत्पादन किया।
सगन्धीय व औषधीय पौधे- लेमन ग्रास, स्टेविया, रोजमेरी, सतावर, एलोवेरा, मारजोरम, तुलसी
आदि। इनके द्वारा उत्पादित हर्बल चाय को इन्होंने बाजार में उतारा है। जिसके सामने
सभी प्रकार की चाय हल्की लगती हैं। स्वाद के साथ-साथ यह निकोटिन प्रफी भी है।
जिसकी बाजार में अच्छी मांग है। सबसे बड़ा काम यह है
, कि इनके द्वारा अपने गांव में ही फल सब्जी प्रसंस्करण इकाई भी लगाई गई है।
भरत सिंह राणा का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में सरकारी तथा गैर सरकारी
संस्थाओं के माध्यम से हिमाचल प्रदेश
, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश
सहित कई राज्यों के प्रतिष्ठानों में शैक्षिक भ्रमण करने व नई वैज्ञानिक तकनीकों
को सीखने का मौका मिला। विभिन्न स्रोतों से अर्जित तकनीक का अपनी चकबंदी वाली भूमि
पर प्रयोग कर रहे हैं
, जिनका
अच्छा लाभ मिल रहा है।
असंभव को संभव करने पर मिले कई सम्मान
इस क्षेत्र के स्वावलंबी व संघर्षशील किसान
भरत सिंह राणा ने बिना किसी सरकारी मदद के ऐसा कुछ कर दिखाया जो असंभव ही नहीं
नामुमकिन था। इसके लिए उन्हें जिला
, प्रदेश
तथा राष्ट्रीय स्तर के कई सम्मान मिल चुके हैं। वर्ष
2016 में राज्य स्थापना दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा
राज्यस्तरीय कृषि पंडित सम्मान से नवाजा जा चुका है। कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र
में एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मेंनेजमेंट एजेंसी (आत्मा) और पंतनगर विश्वविद्यालय भी
कई बार इन्हें सम्मानित कर चुका है।
2012 में
कृषि विभाग द्वारा जनपद स्तरीय सम्मान
2015 में राज्य स्तरीय उत्तराखंड नायक की उपाधि 2016 में राज्यस्तरीय घी संक्रांति महोत्सव सम्मान 2017 में सहकारिता विभाग उत्तराखंड द्वारा सम्मानित तथा 10 सितंबर 2013 को गुजरात कृषि समिट में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी
सम्मानित किया जा चुका है।

साभार- प्रदीप चौहान, देहरादून।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button