व्यंग्यलोक

    July 30, 2024

    व्यंग्य : एक आम हैंका आमाऽ काम नि औंदु

    Satire: Ek aam hainka aamaa kaam ni aundu• नरेंद्र कठैतवुन त आम क्वी बड़ी चीज नी। आम, आम होंदु। आमौ…
    May 19, 2020

    जरा बच के … (व्यंग्य)

    •  प्रबोध उनियाल बहुत समय पहले की बात है, तब इतनी मोटर गाड़ियां नहीं थीं। सबके अपने-अपने घोड़े होते थे।…
    May 1, 2020

    भाई साहब घर में हैं (व्यंग्य)

    • प्रबोध उनियाल कुछ भाई साहब तो आजकल बर्तनों के साथ फर्श को भी रगड़-रगड़ कर चमका रहे हैं। आजकल…
    September 7, 2019

    अरे! यु खाणू बि क्य- क्य नि कराणू! (गढ़वाली व्यंग्य)

    नरेन्द्र कठैत    खाणू जैका हथ मा आणू, दुन्या मा वी राणू। अर जैका हथ मा खाणू नि आणू, वू…
    August 25, 2019

    आखिर यम हैं हम..!!! (हास्य-व्यंग्य)

    धनेश कोठारी // ************* ब्रह्मलोक में वापस लौटते ही यमराज अपना गदा एक तरफ, मुकुट दूसरी तरफ, भैंस तीसरी तरफ…
    June 14, 2019

    दानै बाछरै कि दंतपाटी नि गणेंदन्

      ललित मोहन रयाल //   ऊंकू बामण बिर्तिकु काम छाई। कौ-कारज, ब्यौ-बरात, तिरैं-सराद मा खूब दान मिल्दु छाई। बामण भारि…
    May 11, 2019

    लोकभाषा के एक भयंकर लिख्वाड़ कवि (व्यंग्य)

    ललित मोहन रयाल // लोकभाषा में उनका उपनाम ’चाखलू’ था, तो देवनागरी में ’पखेरू’। दोनों नाम समानार्थी बताए जाते थे।…
    May 10, 2019

    फेसबुक अकौंट औफ ब्वाडा … (व्यंग्य)

    यस. के थपल्याल ’घंजीर’ / /  हे वै निरबै दलेदरा! निगुसैंकरा तु मेरू फीसबुक अकौंट किलै नि खोलणु छै रै……
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