प्रकृति का हमसफ़र छायाकार डॉ. मनोज रांगड़
• प्रबोध उनियाल
चेहरे में हमेशा मुस्कान, व्यवहार में बेहद आत्मीयता और प्रकृति को अपनी ही नजर से देखने का अंदाज अगर देखना हो तो एक बार आप जरूर डॉ. मनोज रांगड़ से मिल सकते हैं.
यूँ तो तस्वीरें बोलती ही हैं लेकिन अगर ये मनोज रांगड़ के कैमरे से खींची हों तो रुकिए! ये तस्वीरें आपसे संवाद भी करेंगी. उनका कहना है कि फोटोग्राफी उनका पेशा नहीं, ये तो उनका जुनून है या कह लो कि सुकून भी.
मनोज जी टीएसडीसी में प्रबंधक पर्यावरण के पद पर कार्यरत हैं. वही ओशो ध्यान केंद्र से भी जुड़े हैं. जहाँ वे अध्यात्म और ध्यान-योग में लीन होकर स्वामी बोधि वर्त्तमान हो जाते हैं. अध्यात्म दर्शन नहीं है, अध्ययन-आत्म इसका शाब्दिक अर्थ है. तब जब ये आत्मा और प्रकृति के साथ हो तो विग्रह में अलौकिक छवि का उतरना स्वाभाविक ही है.
आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है। ऐसे में प्रकृति के इस चितेरे फोटोग्राफर को शुभकामनाएं तो दी ही जानी चाहिए. उम्मीद है कि आगे भी आपकी आँख और कैमरे के बेहतर सामंजस्य से हमें प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिलते रहेंगे जो आप अपने किसी मन के कोने से खींच कर लाते हैं।
प्रत्येक वर्ष एक जनवरी को वे ऋषिकेश में राकेश सहाय जी की स्मृति में फोटो प्रदर्शनी का आयोजन करते हैं जो कला प्रेमियों के इन चित्रों को बेहद करीब से देखने और समझने का एक मौका होता है।
आप और आपके सहयोगी संदीप अवस्थी को पुनः इस अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं.
– डॉ. मनोज रांगड़ |
वाह धनेश जी