साहित्य

गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 04



पौणा न्‍यूड़ बल खाणू
अर नौना न्‍यूड़ सेणू

कजेल्‍न करि बल सर्पै सौर
अर वू तणेण तणेण क मौर

भैंस्‍यो मोळ बल भैंसी का ई ढमणा

ज्‍यूंदा मा नि दे बल मांड
अर मोरी खैंडी खांड

ब्‍वारि बल धाण नि च
त् बळदौ कैनू कन्‍यो

बिगर अफ्वू म्‍वर्यां बल स्‍वर्ग नि मिल्‍द

रज्‍जा लगि बल भात
अर म्‍हैन्‍तै फूटी छत्ति

कैकू किल्‍ला घैंट्यां कू भाग
कैकू जुड़ु ब्‍वट्यां कू भाग

स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्‍य माध्‍यमूं से संकलित
संकलनकर्ता – धनेश कोठारी


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One Comment

  1. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
    स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम
    इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का
    प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद
    नायेर ने दिया है… वेद जी को अपने
    संगीत कि प्रेरणा जंगल में
    चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
    ..
    Feel free to surf my weblog खरगोश

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