साहित्य
गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 03
घौड़ा मा ढांग प्वोड़ू या ढांग मा घौड़ू
होण घौड़ै कि ई रांड च
काठै बिराळी त् मैं बणौलू
पण म्याणऊं कू कौरलू
मुसा का छन पराण जाणा
अयेडि़ बोदी सकून ई नि
बण्डि खाणौं जोगी ह्वयों
अर पैलि बासा भूक्कि रयों
रौ-रौ बाबा बल खा-खा
न बाबा बल मिन् जोगि होण
अड़ै पढ़ै बल जाट
सोळा दूणि आट
बिच्छियो नि जाण्णअन् मंतर
अर सांपै दुंळंयों हात
बड़ा बैर्यो बल बड़ू मान
बड़ौंन् खैन बल आरु
अर छ्वट्टौंन् थेंचिन् थ्वाबड़ा
सुबेरौ न्हयूं अर बाबा ब्यावायूं सौंगू होंदू
स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्यय माध्यंमूं से संकलित
संकलनकर्ता – धनेश कोठारी
भलु लगु