व्यंग्यलोक

छन्नी, छन्ना अर मट्यंळ

अच्काल श्याम ह्व़े ना अर दरेक/प्रत्येक टी.वी. चैनेलुं मा दिन भर की खबरूं छांच छुल़े जांद.क्वी चैनेल नाम दींदु हाई डिबेट, क्वी बुलद न्यूज़ हावर, क्वी कुछ. पण जन हम तैं बीडी -तमाखू ढब पड़ी जांद अर फिर तमाखू पीण बन्द नि होंद, उनि मी तैं टीवी चैनेलुं पोलिटिकल डिबेट दिखणो ढब बि पोड़ीगे. ब्याळी श्याम घरवाळी न ब्वाल, “पोलिटिकल डिबेट दिखण से बढिया तुम चै चिन्नी क प्याला धून्दा त मी कन्नी क्वी’ ‘कब जाएग ए साला ‘के’ सीरियल’ दिखदु”. मीन जबाब दे “अरे भै ! दिन मा जब मी त्यार अर अपण बांठो जुठ भांड धूंदो त तू ‘कब तक बन्द होगा ए ‘के’ सीरियल’ नि दिखदी छे की ना?” घरवाळी क बुलण छौ, “दिनु अर श्याम दें क ‘के’ सीरियल’ मा भौत फरक हूंद. दिनक ‘के’ सीरियल लाइट ड्रामा होन्दन. जब की रातू ‘के’ सिरियलूं मा हाई इमोशनल ड्रामा होंद” म्यरो जबाब छौ, “हाँ !

इनी च. दिन का पोलिटिकल डिबेट अर श्याम दें क ‘पोलिटिकल डिबेट’ मा बि इनी फरक होंद”. घरवाळी को जबाब छौ “हुं ! हूंद क्या च ! टी.वी. चैनेलूं; पोलिटिकल डिबेट” मा? चेंनेल का ऐंकर सवाल पुछ्दु अर राजनैतिक पार्टी क घाघ फुन्द्यानाथ सीधा जाबाब छोड़ीक इनै उनै क फ़ोकट का जबाब दीन्दन. राजनैतिक पार्टियूँ क फुन्द्यानाथुं तैं पूछो तुमर कुदड़ को क्या हाल छन त वै फ़ुन्द्यानाथौ जबाब हूंद, “हमारी विरोधी पार्टि क बल्द गिंवड़ उज्याड़ खाणा छन”. सवाल हूंद कुदड़ कु अर यूंक जाबाब हूंद गिंवड़ को” मीन बोली “हुं ! त्यार ‘के’ सिरियलूं से त कम इल्लोजिकल हून्दन यि ‘पोलिटिकल डिबेट.” “खन्नौ लौजिक हूंद उख ‘पोलिटिकल डिबेटूं मा. टीवी चैनलुं कत्ति एंकर बिसरी जान्दन बल वो सिरफ़ एंकर छन ना की जज. जादातर टीवी चैनलुं क एंकर डिबेट से पैलि अपण फैसला सुणे दीन्दन. इन बि क्या पत्रकारिता कि पत्रकार ही जज बौण जावन! पत्रकारूं काम च. सवाल-जाबाब करण, सूचना दीण, जागृति सराण/फैलाण ना कि फैसला सुणाण. “घरवाळी न रुसेक ब्वाल.

मीन ब्वाल, “त्यार ‘के’ सिरियलूं से त जादा गंभीर हून्दन ‘पोल्यिकल डिबेट.” घरवाळी न नड़केक (गुस्सा) ब्वाल, “किलै छंवां यूँ राजनैतिक पार्टयूँ फुन्द्यानाथुं अर एंकरों तैं गाळी खलाणा! “मैन जबाब दे” न इन नी च.”घरवाळी को kdk फैसला छौ, “टी.वी चैनालूं क पोलिटिकल डिबेटऊँ का राजनैतिक छुयूँ छांच छुलै मा ना त नौण/नौणि निकळदि अर ना ही छांच . बस छांच छुल़े हुंद बस दै खराब हूंद, मेनत बि भेळउन्द जोग हुंद, अर हाथ कुछ नि आन्द.” मीन बोली, “नहे. यू तेरो पोलिटिकल डिबेटों बारा मा यूँ नेगेटिव सोच च. ” घरवाळी न फडेक ब्वाल, “हं ! मी नेगिटिव अर उ जु राजनैतिक पार्टयूँ क फुन्द्यानाथ डिबेटों मा भाग लीन्दन ओ क्या पोजिटिव छ्न?”

मीन पूछ, “मतबल?”
घरवाळी को कडक जबाब थौ, “अरे उ जो राजनैतिक पार्टयूँ क नेता डिबेट मा आन्दन सबी गूणी जन बात करदन.” मीन घंघतोळ मा पूछ, “गूणी …?”
घरवाळी न बिंगायी, “हाँ! जन गूणी अपण पूँछ त दिखदु इ नी च अर बांदरौ खुणी बोल्दु बल, हे बांदर! त्यार पूँछ लम्बो च.

इनी छन य़ी राजनीति का फुन्द्यानाथ. बेशरम, बेल्ल्ज्ज. बीजेपी वाळ कोंग्रेस पर भगार लगान्द बल कोंग्रेस्सी भ्रष्ट छ्न. अर भूलि जान्दन बल कर्नाटक मा यदुरपा न क्या क्या खेल खेलिन, उत्तराखंड मा निशंक को क्या भ्रष्ट हाक छया. अर इनी कांग्रेसी छन. कांग्रेसी यदुरप्पा तैं बड़ा पापी बथान्दन पण अपण दें कलमाड़ी, अशोक चौहाण, प्रताप सिंग कैरों की बात बिसरी जान्दन. “मी कुछ जबाब द्यून्द कि नौनु ब्वारी न भितर बिटेन जबाब दे, “हाँ, पापा ये सब राजनैतिक प्रवक्ता छलनी हैं, सब छन्ना हैं सब मट्यंळ हैं. अर यूँ सबि राजनैतिक प्रवक्ताओ क हाल इन छन. छन्नि अपण दुंळ त दिख्दी नी च पण मट्यंळ खुण बुल्दी बल मट्यंळ फर भौत दुंळ/छेद छ्न”. म्यार कक्या ससुर बोल्दा छया बल जब कबि सासू अर ब्वारी एकी भौणम बुलण बिस्यावन त ससुर तैं उख बिटेन भाजी जाण चएंद मी भैर सिगरेट लीणो चली ग्यों.

@ Bhishm Kukreti

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