व्यंग्यलोक

लोकसभा मा क्य काम-काज हूंद भै ?

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अच्काल पार्लियामेंट मा रोज इथगा हंगामा/घ्याळ होंद बल लोकसभा या राज्यसभा खुल्दा नीन अर दुसर दिनों बान मुल्तबी/ ‘ऐडजौर्नड फॉर द डे’ करे जान्दन. बस याँ से पारिलियामेंट सदस्य बिसरी गेन, भूलिगेन की लोकसभा या राज्यसभा मा काम काज क्य हूंद ? एम् पीयूँ तैं अब पता इ नी च बल लोक सभा या राज्य सभा सदस्यों मा क्वी कम बि होंद.
अब सी पर्स्या की त बात च. परसी मि अपुण एम्.पी (राज्य सभा सदस्य) दगड्या कु इख ग्यों बल मि बि ज़रा पार्लियामेंट देखूं अर उख क्य क्य होणु च वांको जायजा बि ल्हीयूँ. अब जन कि मेरो दगड्या बिना बातौ अहिंसक मनिख च वै तैं कमांडो की सेक्युरिटी त छ्वाड़ो एमपी हाउस कुणि एक चौकीदार बि नि मील. म्यार दगडया एमपी न बीस पचीस माख मारिन, दस पन्दरा मूस पकड़ीन अर पिंजरा मा बन्द कौरिन अर औथेरिटयूँ तैं बि दिखाई तबी बि मेरो दगडया तैं जेड त छ्वाड़ो ए सेक्युरिटी बि नि मील उलटां एक चौकीदार छौ वै तैं बि के हैंक नगर पालिका सेवक को इख भेजी दे. त मै तैं दगड्या एमपी क इख जाण मा क्वी अट्टवांस/दिक्कत/ बेरियर नि होंदी, जब जाओ ज़ब आओ. उन अच्काल इन मुस्किल ही होंद पण गांधी जी क सचा च्याला हों त ह्व़े बि जांद.
म्यार दगड्या अहिंसक एमपी ईं बगत बि जंग्या अर बन्याण मा पुराणो मर्फी कलर टेलीविजन (यू मीन भेंट मा दे छौ)
मा हिस्टरी चैन्नेल मा क्वी इतिहासौ सीरियल देखणु छौ. विचारू अहिसक गाँधी बादी एम् पी अबि बि माणदो बल ‘हिस्टरी रीपीट्स इटसेल्फ़ बेकौज नो बडी लर्न्स फ्रॉम हिस्ट्री.’
मीन ब्वाल,”हे! भै एमपी! काम पर नि जाण?”
अहिंसक गांधी बादी एम् पी न पूछ, “यू काम क्य हूंद?”
“हैं ! पार्लियामेंट मा कथगा इ काम होंदन. जन कि जु तुम सरकारी पार्टी मा छवां त मंत्री जी क बोल्यां पर ताळी बजाण अर मेज थपथप्याण ही काम होंद” मीन ब्वाल.
अहिंसक गांधी बादी एम् पी न पूछ, : अछा! अर हौर काम?”
मीन अहिंसक गांधीबादी एमपी तैं याद दिलाई, “अर जु तुम विरोधी पार्टी क एमपी छवां त बस जब बि सरकारी एमपी या मंत्री अपण बयान दीण बिस्याई कि घ्याळ करण बिसे जाण. कुछ नी त शेम शेम बुलण बिसे जाण”
“बस य़ी काम च? “अहिंसक गांधीबादी एमपी न फिर पूछ ” नही हौर काम बि छन जं कि कबि कबि टी वी कैमरा उना नि हो त जरा सी ऊँगी बि ल्याओ.” मीन खुलासा कार अहिंसक गांधी बादी एमपी न ब्वाल, “ए मेरी ब्व़े! और अच्छा उख उंगण बि पड़दो? हौर..?”
मीन फिर से याद दिलाणे पुट्ठ्या जोर लगाणे/ कोशिश करी, “नै जु पार्लियामेंट मा हो हल्ला, घ्याळ, घपरोळ नि होणु राउ त एमपी सरकारी मंत्री से सवाल बि पूछी लीन्दन अर मन मारिक मंत्री जीयूं तैं सवालू जबाब बि दीणी पड़दन.”
” हे नागराजा! हे ग्विल्ल! बस/य़ी काम! पण क्य क्वी बि एमपी कुछ बि सवाल पूछी सकद?” अहिंसक गांधीबादी एमपी न पूछ
“ना क्वी बि एमपी अफिक सवाल नि पूछी सकद. एमपी तैं वैकी पार्टी टैम दींद अर तबी एमपी सवाल कौरी सकद. “मीन खुलासा कार अहिंसक गांधीबादी एमपी न अगनै पूछ, “त अच्काल क्य हो णु च उख..?”
मीन बथाइ,’ अच्काल त द्वीइ याने राज्यसभा अर लोकसभा मा कुछ नि होणु च बस सभा अध्यक्ष खुर्सी मा जनी बैठदन तन्नी पार्लियामेंट मा घ्याळ/घपरोळ होण बिसे जांद. स्पीकर सब्युं तैं शांत हूणे सल्ला दीन्दन पण ना त हल्ला ना ही घ्याळ अर ना ही घपरोळ बन्द होंद अर स्पीकर पार्लियामेंट तैं दुसर दिनु खुणि अडजोर्न करी दीन्दन. अच्काल बस ई होंद..”
“य़ी स्पीकर क्य होंद? क्या यूंक काम बुलणों क काम हूंद.”अहिंसक गांधीबादी एमपी न टक्क लगैक पूछ
मीन बिंगाणों कोशिश कार, “ना! ना! स्पीकर का मतबल स्पीक करण नी च मतबल स्पीकर इख सुणदो च, बुळणों काम त एमपी या मंत्र्युं क होंद.
पारिल्यामेंट मा स्पीकर स्कूल कु क्लास मोनिटर जन होंद “अहिंसक गांधीबादी एमपी न इन पूछ जन बुल्यां कै हैंको प्लैनेट बिटेन अयूँ ह्वाऊ , “एक बात त बतादी कि य़ी राज्यसभा, लोकसभा या पार्लियामेंट क्य होंदन भै?”
अब मि क्य बथों बल लोक सभा, राज्यसभा या पार्लियामेंट क्य होंद. जै देस कु पार्लियामेंट मा रोज/हर घड़ी अडजोर्न पर अडजोर्न ही होणा राल त उखाक एमपी एक दिन बिसरी ही जाल बल पार्लियामेंट क्य होंद! अर पार्लियामेंट मा क्य कामकाज होंदन.

@ Bhishm Kukreti

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