व्यंग्यलोक

क्य मि बुढे गयों ?

फिर बि मै इन लगद मि बुढे गयों! ना ना मि अबि बि दु दु सीढ़ी फळआंग लगैक चढदु. कुद्दी मारण मा अबि बि मिंडक में से जळदा छन. फाळ मारण मा मि बांदरूं से कम नि छौं. काची मुंगरी मि अबि बि बुकै जान्दो अर रिक अपण नै साखी/न्यू जनिरेशन तैं बथान्दन बल काची मुंगरी कन बुकाण सिखणाइ त भीसम मांगन सीखो. कुखड़, मुर्गा हर समय खाण मा म्यार दगड क्या सकासौरी कारल धौं! बल्द जन बुसुड़ बिटेन भैर नि आण चांदो मि रुस्वड़ मा इ सेंदु जां से टैम कुटैम खाणो इ रौं. दंत ! बाघ का या कुत्ता का इन पैना दांत नि ह्वाल जन म्यार छन.
इना गिच मा रान म्यार दान्तुं बीच मा आई ना कि रान को बुगचा बौणि जांद. अचकालौ जवान लौड़ उसयाँ खण/खाजा बि बुकावन त ऊँ तैं कचै, डीसेंटरी ह्व़े जांद. अर मि अबि बि अध्भड़यीं लुतकी, अध्काचू अंदड़-पिंदड़ पचै जांदू. म्यार अंदड़ अर जंदरौ पाट भै भुला लगदन. पण फिर बि मै इन लगद मि बुढे गयों!
अब द्याखो ना जख पैलि लोग मै से मिल्दा था त हाई! हेल्लो! हाउ डू यू डू? कैरिक सिवा बर्जद छया अच्काल जब बिटेन मि रिटायर होंऊ त लोग बाग़ हाथ मिलाणो जगा पर म्यार खुटुन्द सिवा लगौन्दन. ज्वान, अध् बुधेड़ जनानी खुटुन्द सिवा लगावन त बुरु नि मन्यान्द पण जब बौ की उमरवाळी कज्याण तुम तैं खुटुन्द सिवा लगाण बिसे जाव त कखी ना कखी मगज मा बात बैठी जांद , मन मा आई जांद बल मि कखी बुड्या त नि ह्व़े ग्येऊँ. पैल जब क्वी अपण छ्व्ट या बड़ा ज्वान नौंन -नौन्याळी क परिचय करांद छया त बुल्दा छया, “बेटा अंकल को हाई करो! हल्लो! करो!”
अर अब !!! य़ी लोक बुल्दन,  “बेटा! दादा जी तैं सिवा लगाओ, प्रणाम करो जैसे तुम अपने ग्रैंड मदर याने नाना नानी को प्रणाम करते हो. अर मै कुण हुकुम बि दीन्दन बल,” कुकरेती जी! आप अब बुजुर्ग ह्व़े गेवां त ज़रा बच्चों तैं आशीर्वाद दे दवाओं !’. बस एकी साल मा मि अंकल से ददा ह्व़े गयों ?. रिटायर हूण से पैल अंकल अर रिटायर हूणो परांत ददा, ग्रेण्ड पा?
इथगा फरक ? जब तलक मि रिटायर नि ह्व़े छौ त मि कखी बि भैर देस घुमणो जान्दो छौ त क्या जवान क्या बुड्या मै से टूरीस्ट प्लेस की पूरी जानकारी लीन्दा छया अर अब ! ये मेरी ब्व़े ! अब त लोक बाग़ मी तैं कख घुमणो जाणो अर कख नि जाणो बारा मा मै अड़ान्दा छन, सिखांदा छन. अब द्याखो ना रिटायर हूण से पैल मीमा सात आठ इयर लाइन्स की फ्री फ़्लाइंग स्कीम का टिकेट छया अर मि वांको फैदा अब ल़ीणो इ रौंद. परसि पुण मि फ्री स्कीम मा बैन्कौग अर पटाया ग्यौं. बस जनि कत्ति पछ्याण वालूं तैं पता चौल बल मि बैन्कौग अर पटाया टूर पर ग्यौं त हरेक मै तैं ना म्यार नौनु अर मेरी नौनू ब्वारी तैं समझाणा बल भीष्म की या उमर च बैन्कौग अर पटाया जाणे की.
अरे भीष्म तैं त बदरीनाथ, साईं बाबा, वैष्णो देवी क जात्रा पर जाण चएंद. अर छै मैना पैलि जब मि नौकरी मा छौ अर मि मकाओ गे छयो त य़ी लोक मकाओ मा छोरी कन होंदन, मकाओ की वैश्या अर भारत की वेश्याओं मा क्या फरक होंद अर मी जब मकाओ की वैश्याऊँ क नख सिख वर्णन करदो छौ त बड़ा रौंस/मजा से सुणदा छया अर ज़रा कम वर्णन करदो छौ त कत्ति नराज बि होंदा छया की मि ठीक से वैश्याऊँ वर्णन नि करणों छौं अर अब य़ी लोक मै त ना म्यार नौनु-ब्वारी तैं सलाह दीणा छन बल भीषम की उमर बद्रीनाथ-केदारनाथ जात्रा की च.छै इ मैना मा इथगा फरक!
अब द्याखो ना! सी पर्सी मि उद्योगपति काल़ा जी क कौकटेल पार्टी मा गयों. बड़ो लौन मा पार्टी छे. भौत ही बढ़िया इंतजाम छौ. पण यीं दें म्यार दगड कुछ अजीब हे ह्व़े . जु बैरा शराब लेकी पौणु/मैमानू खुणि ट्रे मा शराबौ गिलास ल्हेकी घुमणा छया वो मै देखीक ही हौर बैरौं तैं भट्यान्दा छया बल, “अरे जौनी! या अरे पोनी! अंकल के लिए कोल्ड ड्रिंक लाओ”.
मतलब बैरा बि … पार्टी मा निखालिस कौकटेल को ख़ास इंतजाम छौ. मेरी इच्छा ह्व़े की मि उख कौकटेल ‘ऑन द रौक’ (रल़ो मिसौ वळी शराब अर सिरफ़ बर्फ) पीउं. पण जनी मि कौकटेल कौंटर मा ग्यों क़ि पछ्याणक वल़ा बुलण बिसे गेन बल, कुकरेती जी! आपक वास्ता कोल्डड्रिंक को कौंटर सी प्वार तरफ च .”अर पैलि य़ी लोक मी मांगन कौक्स रिवाइवल, मोड़ी मिस्ता, कैफ ज्यूरिक, हैंकि पिंकी, बे ब्रीज, ब्लू हवाई जन कौकटेल क़ि पूरी जानकारी लीन्दा छया. अर अब यि लोक बुलणा छन बल “कुकरेती जी ! आपक वास्ता कोल्ड ड्रिंक को कौंटर सी प्वार तरफ च.”  इथगा फ़रक !
ड़्यारम बि कुछ इनी हिसाब च. मि बीसेक दिनु बान देहरादून जाणो छौ त मि बाजार बिटेन पछ्याणक दूकान बिटेन नीलो, पिंगल़ो, हूरो, लाल रंग की चार टी शर्ट लायुं. श्याम तलक मेरी घरवाळी अर ब्वारी दूकान मा गेन अर मटमैल्या, कनफणि सी रंग की टी शर्ट बदली कौरिक ल़े आइन. जब मि नाराज होऊं त कज्याणिन ब्वारी अगनै करी दे अर नौने ब्वारी बुन बिस्याई, “पापा! अब इस उमर में आप पर फास्ट कलर की टी शर्टें सूट नहीं करतीं हैं अब तो आपकी उमर सोबर कलर कपड़ों की है. फास्ट कलर विल नॉट सूट यू .”मतबल छै सात इ मैना मा मेरी उमर फास्ट कलर (भड़काऊ) की नी रै गे!.
मेरी समज मा नी आणू बल अबि त मि सरैल से तंदुरस्त छौं फिर यि लोक रिटायर हूण तैं बुड्या होणे निसाणी किलै समजणा छन? ज़रा तुम इ बथावदि बल क्य मि क्य मि बुढे गयों?
@ Bhishm Kukreti

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