फिल्म
मील का पत्थर साबित हुई थी ‘27 डाउन’
प्रबोध उनियाल ।
फिल्म ‘भुवन शोम’ की कामयाबी के बाद हिंदी सिनेमा के इतिहास में व्यवसायिक सिनेमा के समांतर नए सिनेमा का विकास तेजी से हुआ। फार्मूला फिल्मों की जकड़ से बाहर निकालकर तब नए सिनेमा के आंदोलन में कई बेहतरीन फिल्में बनाई गईं। उन बेहतरीन फिल्मों में से एक फ़िल्म थी ‘27 डाउन’।
युवा निर्देशक अवतार कृष्ण कौल की यह एकमात्र निर्देशित फिल्म थी जिसे 1974 में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जब फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा हुई तो तभी अवतार कृष्ण कौल एक दुर्घटना के शिकार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। असमय ही नया सिनेमा ने एक प्रतिबद्ध और प्रतिभावान निर्देशक खो दिया।
‘27 डाउन’( 27 Down ) में निर्देशक ने प्रत्येक दृश्य को प्रतीकात्मक अर्थ देकर फिल्म को बेहतरीन बना दिया। रेलवे स्टेशनों की जिंदगी, रेल का पटरियों में दौड़ना, बनारस की सड़कें और और नायक संजय की जिंदगी में पटरियों पर दौड़ते जीवन का एकाकीपन फिल्म को अविस्मरणीय बना देता है।
फिल्म की कहानी प्रसिद्ध साहित्यकार रमेश बख्शी के उपन्यास ’अट्ठारह सूरज के पौधे’ पर आधारित है। नायक के अपने सपने हैं लेकिन पिता के कठोर अनुशासन के कारण उसके सपनों की उड़ान में विराम लग जाता है। फिल्म का नायक संजय 27 डाउन में टिकट कलेक्टर है। संजय के पिता भी रेलवे में है और इंजन ड्राइवर हैं। रेल के डिब्बों में भागती जिंदगी के साथ एक दिन अचानक रेल में ही नायक की मुलाकात नायिका से होती है। फिल्म की नायिका शालिनी बेहद संवेदनशील है और मुंबई में नौकरी करती है। उसकी कमाई से ही उसके घर का खर्चा चलता है।
नायक शालिनी से विवाह करना चाहता है लेकिन उसके पिता उसके सपने को पूरा नहीं होने देते और नायक संजय का विवाह एक ऐसी युवती से कर देते हैं जो दहेज में चार भैंसे लेकर आती है। इसके बाद की कहानी बेहद रोचक है। लेकिन फिलहाल संजय तब तक चलती फिरती रेलगाड़ी में ही अपना घर बना लेता है।
फिल्म में एमके रैना और नायिका की भूमिका उस समय की मेनस्ट्रीम की जानी-मानी कलाकार राखी ने अदा की है। बेहद कम बजट पर तैयार यह फ़िल्म, नये सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई।
जानकारी के लिए धन्यवाद
धन्यवाद सर
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बहुत सुंदर व प्रेरक, आपका कोटिशः धन्यवाद।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-04-2020) को शब्द-सृजन-18 'किनारा' (चर्चा अंक-3683) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत अच्छी जानकारी .
बहुत अच्छी जानकारी ,सादर नमन
अच्छी जानकारी
बहुत सुंदर जानकारी
जी,प्रणाम।मैं कैसे देख सकता हूं आपकी पोस्ट?लिंक भेजिएगा।
आभार आपका
आभार आपका
जी,प्रणाम।मैं कैसे देख सकता हूं आपकी पोस्ट?लिंक भेजिएगा।
चर्चा में सम्मलित करने हेतु आपका आभार
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