गढ़वाली-कविता
प्रीत खुजैई (हिन्दी कविता)
रीतु न जै रे
प्रीत खुजैई
मेरा मुलकै कि
समोण लिजैई
रीतु न जै रे
फुलूं कि गल्वड़्यों मा
भौंरौं कु प्यार
हर्याळीन् लकदक
डांड्यों कि अन्वार
छोयों छळ्कदु उलार
छमोटु लगैई
ढोल दमो मा
द्यब्तौं थैं न्युति
जसीला पंवाड़ा गैक
मन मयाळु जीति
मंडुल्यों मा नाचि खेलि
आशीष उठैई
बैशाख मैना बौडिन्
तीज त्योहार
घर-घर होलु बंटेणुं
आदर सत्कार
छंद-मंद देखि सर्र
पर्वाण ह्वे जैई
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
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