गढ़वाली-कविता
गैरा बिटि सैंणा मा (गढवाली कविता)
हे द्यूरा!
स्य राजधनि
गैरसैंण कब तलै
ऐ जाली?बस्स बौजि!
जै दिन
तुमरि-मेरि
अर
हमरा ननतिनों का
ननतिनों कि
लटुलि फुलि जैलि
शैद
वे दिन
स्या राज-धनि
तै गैरा बिटि
ये सैंणा मा
ऐ जाली।
स्य राजधनि
गैरसैंण कब तलै
ऐ जाली?बस्स बौजि!
जै दिन
तुमरि-मेरि
अर
हमरा ननतिनों का
ननतिनों कि
लटुलि फुलि जैलि
शैद
वे दिन
स्या राज-धनि
तै गैरा बिटि
ये सैंणा मा
ऐ जाली।
Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari