गढ़वाली-कविता

पहाड़ आवा (गढवाली कविता)

हमरि पर्यटन कि
दुकानि खुलिगेन
पहाड़ आवाहमरि चा कि दुकान्यों मा
‘तू कप- टी’ बोली जावा
पहाड़ आवा

हमरा गुमान सिंग रौतेल्लौं
डालर. ध्यल्ला, पैसा दे जावा
पहाड़ आवा

पहाड़ पर घास लौंदी
मनख्यणि कु फ़ोटो खैंचि जावा
पहाड़ आवा

देव धामूं मा द्‍यब्ता हर्चिगेन
पांच सितारा जिमी जावा
पहाड़ आवा

परर्कीति पर बगच्छट्ट ह्‍वेकि
कचरा गंदगी फ़ोळी जावा
पहाड़ आवा

हम लमडि छां
बौगि छां
रौड़ि छां/ तुम
कविलासुं मा घिस्सा- रैड़ि
रंगमतु खेलि जावा
पहाड़ आवा

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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