गढ़वाली-कविता
बोली-भाषा (गढवाली कविता)
नवाणैं सि स्याणि छौं
गुणदारौं कू गाणि छौं
बरखा कि बत्वाणी छौं
मंगरौं कू पाणि छौं
निसक्का कि ताणि छौं
कामकाजि कू धाणि छौं
हैंकै लायिं-पैर्यायिं मा
अधीत सि टरक्वाणि छौं
कोदू, झंगोरु, चैंसू-फाणू
टपटपि सि गथ्वाणी छौं
हलकर्या सासु का बरड़ाट मा
बुथ्योंदारी सि पराणी छौं
अद्दा-अदुड़ी, सेर-पाथू
यूंकै बीचै मांणि छौं
बोली छौं मि भाषा छौं
अपड़ी ब्वै कि बाणी छौं
कॉपीराइट- धनेश कोठारी