गेस्ट-कॉर्नर
20 साल बाद लौटी वेदनी बुग्याल की रौनक
– गुलाबी फूलों ने बिखेरी सुंदरता…
– अनगिनत फूलों से बिखरी रंगत, पर्यटकों का इंतजार
संजय चौहान //
मानूसन की बारिश से भले ही उत्तराखंड के पहाड़ी हलकों में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई हो, लेकिन हिमालय में मौजूद वेदनी बुग्याल के लिए मानसून की झमाझम बारिश वरदान साबित हुई है। शीतकाल में भारी हिमपात से सूख चुके वेदनी बुग्याल के वेदनी कुंड को नवजीवन मिला। जिससे वेदनी कुंड पानी से लबालब भर गया। अब यहां खिले अनगिनत फूलों ने वेदनी बुग्याल की सुंदरता पर चार चांद लगा दिए हैं।
खासतौर पर इनदिनों गुलाबी फूल प्रचुर मात्रा में खिले हैं। वेदनी बुग्याल ही नहीं बल्कि आली बुग्याल में भी इस साल सैकड़ों प्रजाति के फूल खिले हैं। वेदनी और आली बुग्याल की बेपनाह सुंदरता के दीदार के लिए स्थानीय लोगों को अब सैलानियों का इंतजार है। उम्मीद है कि मानसून के बाद पर्यटकों की आमाद इन बुग्यालों में होगी और उनके रोजगार के अवसर भी खुलेंगे।
गुलाबी घाटी सी दिख रहा बुग्याल
चमोली जिले में श्री नंदा देवी राजजात के पथ पर वाण गांव से 13 किमी दूर पर स्थित वेदनी बुग्याल (मखमली घास का मैदान)। समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये बुग्याल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी बेपनाह खूबसूरती लोगों का मन मोह लेती है।
विगत दिनों वेदनी बुग्याल का भ्रमण कर लौटे रूपकुण्ड ट्रैकिंग गाइड हीरा सिंह गढ़वाली ने बताया कि आजकल पूरा बेदनी बुग्याल गुलाबी फूलों के खिलने से गुलाबी घाटी सी नजर आ रही है। पूरे बुग्याल में जहां नजर दौडाओ वहां दूर- दूर तक गुलाबी फूल नजर आ रहें हैं। गुलाबी फूलों की वजह से वेदनी की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं।
20 साल बाद खिले बड़ी संख्या में फूल
वैसे हरसाल वेदनी बुग्याल में सैकड़ों फूल खिलते हैं, लेकिन पिछले दो दशकों से वेदनी में फूल बेहद कम खिल रहे थे। पिछले साल से वेदनी बुग्याल में रात्रि विश्राम पर पाबंदी लगने से बुग्याल को बहुत फ़ायदा हुआ। खासतौर पर फूलों की कई प्रजातियां बरसों बाद इस साल देखी गई। वेदनी बुग्याल के बेस कैम्प वाण गांव के सुरेंद्र सिंह बिष्ट कहते हैं कि मैं विगत 20 सालों से लगातार वेदनी बुग्याल आ रहा हूं, लेकिन इसबार जितने फूल खिले हैं पिछले 20 बरसों के दौरान इतने फूल खिलते हुए पहली बार देख रहा हूं। नंदादेवी राजजात यात्रा 2000 में भी इतनी संख्या में फूल नहीं खिले थे। जबकि पिछले दो महीने के दौरान वेदनी बुग्याल हर 15 दिनों में अपना रंग बदल रही है। हर 15 दिन में यहां नया फूल खिल रहा है। इनदिनों वेदनी बुग्याल गुलाबी फूलों की घाटी नजर आ रही है। पर्यटकों को चाहिए की वो अधिक से अधिक संख्या में वेदनी की सुंदरता का दीदार करने आएं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि विगत एक साल से बुग्यालों में रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध लगने से सैकड़ों युवा बेरोजगार हो गए। उनके सामने रोज़गार का संकट गहरा गया है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि रूपकुण्ड ट्रैकिंग मार्ग पर भगुवाबासा (यहां पर चारों ओर पत्थर ही पत्थर हैं) नामक स्थान पर रात्रि विश्राम की अनुमति दी जाए ताकि रूपकुण्ड ट्रैकिंग फिर से शुरू हो सके और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सके।
यह है वेदनी की धार्मिक मान्यता
वेदनी बुग्याल नंदा देवी व त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के मध्य स्थित खूबसूरत वेदनी कुंड का चमोली जिले के इतिहास में विशेष स्थान है। यह कुंड यहां की धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है। प्रत्येक 12 साल में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात के दौरान वेदनी कुंड में स्नान करने के बाद ही यात्री होमकुंड का रुख करते हैं। यहीं राजजात की प्रथम पूजा भी होती है। जबकि, प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी लोकजात का भी वेदनी कुंड में ही समापन होता है।
इस कुंड में स्नान करने के बाद मां नंदा को कैलास के लिए विदा किया जाता है। इस साल 5 सितम्बर को नंदासप्तमी के अवसर पर वेदनी बुग्याल में नंदा राजराजेश्वरी की डोली पूजा अर्चना कर वापस बांक गांव लौट जायेगी। जिसके बाद नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा भी संपन्न हो जायेगी। वहीं नंदा अष्टमी के दिन भी यहां दूर- दूर से लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
अगर आप भी बुग्यालो की बेपनाह सुंदरता के दीदार करने चाहते हैं तो चले आइये वेदनी बुग्याल और आली बुग्याल के मखमली ढलानों की सैर पर।