हिन्दी-कविता

पीले पत्ते

कवि- प्रबोध उनियाल
पतझड़ की मार झेल रहे
अपने आंगन में
नीम के पेड़ के पत्तों को
पीला होते हुए देख रहा हूं-
बसंत के इंतजार में
ये छोड़ देते हैं
सारे दुःख-
अपने पीले पत्तों के साथ-
और फिर से
पहनने लगते हैं हरे पत्ते
पेड़ कभी भी दुख
अपने हिस्से में नहीं रखते
अपनाते हैं सुख, बांटने के लिए
हम हैं कि घिरे रहते हैं
पीले पत्तों से
उम्र गुजर जाती है
नीम का पेड़
नहीं पालता कोई उम्मीद
वह तैयार रहता है
पतझड़ के बाद भी-
एक नए सपने के साथ..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button