फिल्म
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‘इमोशन’ की डोर से बंधी ‘खैरी का दिन’ (Garhwali Film Review)
– धनेश कोठारी भारतीय सिनेमा के हर दौर में सौतेले भाई के बलिदान की कहानियां रुपहले पर्दे पर अवतरित होती…
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मील का पत्थर साबित हुई थी ‘27 डाउन’
प्रबोध उनियाल । फिल्म ‘भुवन शोम’ की कामयाबी के बाद हिंदी सिनेमा के इतिहास में व्यवसायिक सिनेमा के समांतर…
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भुवन शोम से हुई प्रयोगधर्मी सिनेमा की शुरूआत
– प्रबोध उनियाल । फिल्मकार मृणाल सेन द्वारा वर्ष 1969 में ‘भुवन शोम’ का निर्माण आधुनिक भारतीय सिनेमा में मील का…
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‘रिवर्स माइग्रेशन’ के किस्से पर हावी ‘लव ट्राएंगल’
उत्तराखंड में हाल के वर्षों में ‘पलायन’ के समाधान की उम्मीद के तौर पर ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की कहानियां अखबारों की…
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‘जग्वाळ’ से शुरू हुआ था सफर
उत्तराखंडी फिल्मों का सफरनामा 4 मई का दिन उत्तराखंड के लिए एक खास दिन है। जब दुनिया में सिनेमा के…
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नई सुबह की आस बंधाती है ‘सुबेरौ घाम’
फिल्म समीक्षा ‘महिला की पीठ पर टिका है पहाड़’ यह सच, हालिया रिलीज गढ़वाली फीचर फिल्म ‘सुबेरौ घाम’ की ‘गौरा’…
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