Day: December 29, 2016
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गुलज़ार साहब की कविता “गढ़वाली” में
लोग सै ब्वळदिन, ब्यठुला हैंकि बानि का उलखणि सि हुंदिन । सर्या राति फस्सोरिक नि सिंदिन, कभि घुर्यट त कबरि…
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लोग सै ब्वळदिन, ब्यठुला हैंकि बानि का उलखणि सि हुंदिन । सर्या राति फस्सोरिक नि सिंदिन, कभि घुर्यट त कबरि…
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