नजरिया
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वाह रे लोकतंत्र के चौथे खंभे
मित्रों कभी कभी मुझे यह सवाल कचोटता है कि आखिर हम पत्रकारिता किसके लिए कर रहे हैं। निश्चित ही इसके…
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मूर्ति बहने का राष्ट्रीय शोक
ऋषिकेश में एक मूर्ति बही तो देश का पूरा मीडिया ने आसमान सर पर उठा लिया। खासकर तब जब…
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नेगी को ध्वजवाहक बताना कितना सही
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी इन दिनों अपनी बिरादरी के निशाने पर हैं। उत्तराखंड के एक अन्य…
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आखिर कब तक बनेंगे दूसरों की ढाल
आखिर हम कब तक दूसरों के अतिरेक में घिरे रहेंगे, कभी किसी नेता के आभामंडल में, कभी किसी दल के,…
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हो गई है पीर पर्वत सी..
हमने आवाजें उठाई, मुट्ठियां भींची लहराई, ललकारा, लड़े भीड़े तो एक अलग राज्य को हासिल किया। मगर, फिर जुदा होने…
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जायें तो जायें कहां
जिस जंगल के रिश्ते से आदि-मानव अपनी गाथा लिखते आया है, वो जंगल आज उदास है. उसके अपने ही रैन-बसेरे…
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कौन डरता है खंडूरीराज से ?
क्या भविष्य में भी भारतीय जनता पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में दुबारा चुनाव के…
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स्वतंत्रता का इस्तेमाल सब कर रहे हैं
अयोध्या पर फैसला आ चुका है। हर कोई पचाने में लगा है। कुछ खुश होकर तो कुछ नाखुशी के साथ।…
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आखिर चटखारेदार खबरों से लाभ किसे
उत्तराखंड त्रासदी के बाद केदारनाथ पूरी तरह से तबाह हुआ, जहां अगले कई वर्षों तक हालात शायद ही सुधरे। वहीं,…
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