कौन डरता है खंडूरीराज से ?
क्या भविष्य में भी भारतीय जनता पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में दुबारा चुनाव के मैदान में कुद सकेगी? बाबा रामदेव के दो करोड़ की रिश्वत के खुलासे के बाद शायद यह सवाल उत्तराखण्ड के बहुत से लोगों को मथ रहा होगा।
हालांकि अभी किसी के नाम का खुलासा नहीं हुआ है। हो सकता है कि समय रहते कंट्रोलरों के द्वारा सब कुछ नेपथ्य में धकेल दिया जाय और खुलासे का बुलबुला फूटने से पहले ही सिकुड़ जाये। यहां सवाल यह भी उभरकर सामने आता है कि आखिर खंडूरी राज से किसे डर लगता है। उत्तराखण्ड राज्य के वर्तमान विपक्ष को, पार्टी के ही कुछ सहयोगियों को, नौकरशाहों को, माफिया तंत्र को या फिर बाबा रामदेव को जो अब अपनी राजनीतिक पारी को शुरू करने की जमीन बनाने लगे हैं।
अतीत में इसका कुछ अहसास मिल जायेगा। जब फ्लैश बैक में जाकर उस दिन को देखा जाय, जब खंडूरी राज की विदाई के बाद तत्कालीन ‘डरे हुए लोगों की भीड़ नये राजा के देहरादून पहुंचने और ताजपोशी होने तक उन्मादित थी। दूसरा गुजरा हुआ लोकसभा चुनाव जिसमें कांग्रेस को राज्य की पांचों सीट आसानी से जितने दी गई थी। इसी फ्लैश बैक में देखें तो निश्चित ही खंडूरी के शासनकाल में भू माफियाओं को अपने धंधे की वाट लगती दिखाई दी।
नौकरशाहों के साथ ही ट्रांसफर-पोस्टिंग से गुजारा करने वालों में भी असहजता रही। अपने नेताओं पर चुनाव में पैसा लगा चुके लोगों की बेहतर रिर्टन की उम्मीद धूमिल होने लगी थी। ऐसा ही काफी कुछ है जिसे सिलसिलेवार गिना जा सकता है। आज के परिदृश्य में देखें तो तिवारीराज की ताजगी सभी को दिखाई दे रही है। लाल नीली बत्तियों के साथ ही गाहेबगाहे ठसक के दर्शन हो रहे हैं। मलाई के लिए बीते कुंभ के बाद प्रकृति ने भी मेहरबानी कर आपदा का मुंह खोल दिया।
साहित्य से लालित्य तक हर तरफ खुशगवार मौसम दिख रहा है। ऐसे में यदि आंकलन करें और माने की अगले चुनाव में क्या होगा? तो साफ लगता है कि डरने वालों की फेहरिस्त लंबी हो सकती है। लिहाजा यदि आने वाले दिनों में एक ही नहीं कई बाबा दुर्वासा का स्वांग भर लें तो अचरज में नहीं आना चाहिए। बाबा रामदेव का अधूरा सच (क्योंकि नामों का खुलासा अब तक नहीं हुआ है) तो यही कुछ संकेत देता है। सो जब जनरल जंग के मैदान में पैदल हो जायेंगे तो चित्त-पट्ट के खेल को मनमाफिक खेला जा सकता है।
लेकिन इसके आगे भी एक ताकत है जो आज भी कुछ उसी अंदाज में (उत्तराखण्ड से तो उप्र ही अच्छा था ) कहती है कि, खंडूरीराज इस नवेले राज्य के लिए बेहतर था।
सब लगा जुगाड़ में,
जानता जाओ भाड़ में ..
उत्तराखंड करगे न विकास,
जब बटी आई यो खुद खाओ सरकार..
रिश्तेदार बने गया ठेकेदार ………!!
हमर राज़ हमारी गद्दी
सोच पै काम करनी फर्जी,
जब इनुगे लगे अर्जी,
पड़ी बे इनुल उतिगे फाड़ दी….!!
उत्तराखंड करिगो न विकास,
जब बटी आई यो खुद खाओ सरकार…
रिश्तेदार बने गया ठेकेदार ………!!
You people wants again sarangee & harmonium Raj in Uttrakhand. The state is going to be CM production state only. There should be only one CM for full term. In my point of view only Pt Narayan Dutt Tiwari as CM was successful to provide stable govt for full term.BJP seems only CM producing party, which is very much unfortunate.
धन्यवाद मनीष जी व थलेड़ी जी