Month: October 2010
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गढ़वाली-कविता
पण कब तलक (गढ़वाली कविता)
मेरा बिजाल्यां बीज अंगर्ला सार-खार मेरि भम्मकली गोसी कबि मेरु भुक्कि नि जालू कोठार, दबलौं कि टुटलि टक्क पण, कब…
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गढ़वाली-कविता
बाघ
बाघगौं मा जंगळुं मा मनखि ढुक्यां छन रात-दिन डन्ना छन घौर-बौण द्वी लुछणान् एक हैंका से आज-भोळ अपणा घौरूं मा ज्यूंद रौण कू संघर्ष आखिर कब…
Read More » काव्य आन्दोलनों का युग 1976- से 2010 तक
सन 1976 से 2010 तक भारत को कई नए माध्यम मिले और इन माध्यमों ने गढ़वाली कविता को कई तरह…
Read More »अनसिक्योर्टी (गढ़वाली कविता)
डाल्यों फरैं अंग्वाळ बोट ताकि, डाल्यों तैं अनसिक्योर्टी फील न हो Copyright@ Dhanesh Kothari
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गढ़वाली-कविता
मेरि पुंगड़्यों (गढ़वाली कविता)
मेरि पुंगड़्योंहौरि धणि अब किछु नि होंदपण, नेता खुब उपजदन् मेरि पुंगड़्योंबीज बिज्वाड़खाद पाणिलवर्ति-मंड्वर्तिकिछु नि चैंदस्यू नाज पाणिडाळा बुटळाखौड़ कत्यार…
Read More » 1951 से 1975 तक
सारे भारत में स्वतंत्रता उपरान्त जो बदलाव आये वही परिवर्तन गढ़वाल व गढ़वाली प्रवासियों में भी आये, स्वतंत्रता का सुख,…
Read More »इतिहास में एक मील का पत्थर
प्रिय मित्रों आप को खुशी होगी कि चिट्ठी पत्री का एक प्रसिद्ध विशेष कविता विशेषांक प्रकाशित होने की इन्तजार में…
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