Month: October 2010
समौ (गढ़वाली कहानी)
चंदरु दिल्ली बिटि घौर जाणों तय्यार छौ, अर वेका गैल मा छौ तय्यार ’झबरु’। झबरु उमेद कु पाळ्यूं कुत्ता छौ।…
Read More »शब्द हैं… (हिन्दी कविता)
पहरों मेंकुंठित नहीं होते शब्दमुखर होते हैंगुंगे नहीं हैं वेबोलते हैंशुन्य का भेद खोलते हैं उनके काले चेहरेसफ़ेद दुधली धुप में…
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यात्रा-पर्यटन
श्री बदरीनाथ सुप्रभातम्
लक्ष्मीविलास नरसिंह गुणाकरेशबैकुण्ठ केशव जनार्दन चक्रपाणे।भक्तार्तिनाशन हरे मधुकैटभारेभूयात् बदर्यधिपते तब सुप्रभातम्।। लक्ष्मीः प्रसन्नवदना जगदाद्यशक्तिःकृत्वाङ्गरागललितं सुमनोज्ञवेषा।संस्तौति शब्दमधुरैर्मुरमर्दनं त्वांभूयात् बदर्यधिपते तव सुप्रभातम्।।…
Read More » कागजि विकास (गढ़वाली कविता)
घाम लग्युं च कागजि डांडोंकाडों कि च फसल उगिंआंकड़ों का बांगा आखरुं माउखड़ कि भूमि सेरा बणिंघाम लग्युं च…………. ढांग…
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आजकल
पहाड़ का सबसे बड़ा सवाल
उत्तराखंड और हिमालय के सबसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक प्रश्न यानि पहाड़ के गांव के पलायन और उत्तरजीविता पर एक…
Read More » उत्तराखण्ड बणौंण हमुन् (गढ़वाली कविता)
अब कैकू नि रोण हमुनउत्तराखण्ड बणौंण हमुन उजाड़ कुड़ि पुंगड़्यों तैंउदास अळ्सी मुखड़्यों तैंफूल अरोंगि पंखड़्यों तैंपित्तुन पकीं ज्युकड़्यों तैंअब…
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गढ़वाली-कविता
गांधीवाद (गढ़वाली कविता)
सि बिंगौंणा छनगांधीवाद अपनावाबोट देण का बादगांधी का तीनबांदरूं कि तरांआंखा-कंदुड़/ अरमुक बुजिद्यावा Source : Jyundal (A…
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आजकल
स्वतंत्रता का इस्तेमाल सब कर रहे हैं
अयोध्या पर फैसला आ चुका है। हर कोई पचाने में लगा है। कुछ खुश होकर तो कुछ नाखुशी के साथ।…
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