Year: 2010
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आजकल
पहाड़ का सबसे बड़ा सवाल
उत्तराखंड और हिमालय के सबसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक प्रश्न यानि पहाड़ के गांव के पलायन और उत्तरजीविता पर एक…
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उत्तराखण्ड बणौंण हमुन् (गढ़वाली कविता)
अब कैकू नि रोण हमुनउत्तराखण्ड बणौंण हमुन उजाड़ कुड़ि पुंगड़्यों तैंउदास अळ्सी मुखड़्यों तैंफूल अरोंगि पंखड़्यों तैंपित्तुन पकीं ज्युकड़्यों तैंअब…
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गढ़वाली-कविता
गांधीवाद (गढ़वाली कविता)
सि बिंगौंणा छनगांधीवाद अपनावाबोट देण का बादगांधी का तीनबांदरूं कि तरांआंखा-कंदुड़/ अरमुक बुजिद्यावा Source : Jyundal (A…
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आजकल
स्वतंत्रता का इस्तेमाल सब कर रहे हैं
अयोध्या पर फैसला आ चुका है। हर कोई पचाने में लगा है। कुछ खुश होकर तो कुछ नाखुशी के साथ।…
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हिन्दी-कविता
सांत्वना (हिन्दी कविता)
दो पीढ़ियों का इन्तजारआयेगा कोईसमझायेगा किउनके आ जाने तक भीनहीं आया था विकासगांव वाले रास्ते के मुहाने पर तुम्हारी आसटुटी…
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हिन्दी-कविता
पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे दरकने परतुम्हारा चिन्तित होना वाजिब है अब तुम्हें नजर आ रहा हैमेरे साथ अपना दरकता भविष्यलेकिन मेरे दोस्त! देर…
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विकास का सफर (व्यंग्य)
विकास का सफर ढ़ोल ताशों की कर्णभेदी से शुरू होकर शहनाई की विरहजनित धुन के साथ कार्यस्थल पर पहुंचता है।…
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व्यंग्यलोक
काश लालबत्तियां भगवा होती (व्यंग्य)
बसंत के मौल्यार से पहले जब मैं ‘दायित्वधारी‘ जी से मिला था तो बेहद आशान्वित से दमक रहे थे। भरी…
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