Year: 2011
-
बदलौअ (गढ़वाली कविता)
जंगळ् बाघूं कु अब जंगळ् ह्वेगेन जब बिटि जंगळ् हम खुणि पर्यटक स्थल ह्वेगेन बंदुक लेक हम जंगळ् गयां बाग/गौं…
Read More » -
फिल्म-संगीत
‘लोक’ संग ‘पॉप’ का फ्यूजन अंदाज है ‘हे रमिए’
इसे लोकगीतों की ही तासीर कहेंगे कि उन्हें जब भी सुना/गुनगुनाया जाय वे भरपूर ताजगी का अहसास कराते हैं। इसलिए…
Read More » -
उदास न हो (गढ़वाली कविता)
आज अबि उदास न होभोळ त् अबि औण चआस न तोड़ मन न झुरौपाळान् त् उबौण ई च कॉपीराइट- धनेश…
Read More » -
विविध
व्यवस्था के विरूद्ध सवाल हूं मैं
जन्मदिवस पर साहित्य प्रेमियों ने स्व. पार्थसारथी डबराल को किया याद ’फन उठाता जो व्यवस्था के विरुद्ध, सवाल हूं मैं/डबराल…
Read More » -
गढ़वाली-कविता
वेलेन्टाइन (गढ़वाली कविता)
हे वीं तू बि अदान छैं त्वेखुणि बि क्य ब्वन्न हैप्पी वेलेन्टाइन!! Copyright@ Dhanesh Kothari
Read More » -
विविध
-
विविध
रैबार पहाड़ का सब्बि लोखूं तैं..
पहाड़ का सब्बि खास अर आम लोखूं से आग्रह 2011 कि जनगणना शुरू ह्वेगे। ईं जनगणना मा सामाजिक, आर्थिक, आधारूं…
Read More » -
नगर पालिका ऋषिकेश से मिले सम्मान के प्रतीक
नगरपालिका परिषद ऋषिकेश द्वारा साहित्य के लिए समर्पित स्व. डा. पार्थ सारथि (डबराल) सम्मान 26 जनबरी 2011
Read More »