Year: 2011
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इंटरव्यू
गैरसैंण जनता खुणि चुसणा च
जब बिटेन उत्तराखंड अन्दोलनै पवाण लग अर राज्यौ राजधनी छ्वीं लगी होली त गैरसैंण कु इ नाम गणेंगे। गैरसैंण राजधानी…
Read More »न्युतो
दगड्यों! पैथ्राक दस सालों बटि नामी-गिरामी चिट्ठी-पतरी(गढ़वळी पत्रिका) कि गढ़वळी भाषै बढ़ोत्तरी मा भौत बड़ी मिळवाक च। यीं पतड़ीन् गढ़वळी…
Read More »गढवाल में मकरैण (मकर संक्रांति) और गेंद का मेला
गंगासलाण याने लंगूर, ढांगु, डबरालस्युं, उदयपुर, अजमेर में मकरसंक्रांति का कुछ अधिक ही महत्व है। सेख या पूस के मासांत…
Read More »क्या नपुंसकों की फ़ौज गढ़वाली साहित्य रच रही है ?
जो जीवविज्ञान की थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं वे जानते हैं कि, जीव-जंतुओं में पुरुष कि भूमिका एकांस ही होती…
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आलेख
टिहरी बादशाहत का आखिरी दिन
टिहरी आज भले ही अपने भूगोल के साथ उन तमाम किस्सों को भी जलमग्न कर समाधिस्थ हो चुकी है। जिनमें…
Read More » संघर्ष की प्रतीक रही टिहरी की कुंजणी पट्टी
देवभूमि उत्तराखंड वीरों को जन्म देने वाली भूमि के नाम पर भी जानी जाती है। इसी राज्य में टिहरी जनपद…
Read More »वरिष्ट साहित्यकार भीष्म कुकरेती का दगड़ वीरेंद्र पंवार कि छ्वीं-बत्थ
वीरेन्द्र पंवार : तुमारा दिखण मा अच्काल गढवाळी साहित्य कि हालात कनि च ?भीष्म : मी माणदो गढवाळी साहित्य कु…
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