Month: June 2013
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बाबा केदार के दरबार में
जगमोहन ‘आज़ाद’// खुद के दुखों का पिटारा लेखुशीयां समेटने गए थे वो सबजो अब नहीं है…साथ हमारे,बाबा केदार के दरबार में…
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क्या फर्क पड़ता है
ये इतनी लाशेंकिस की हैंक्यों बिखरी पड़ी हैंये बच्चा किसका हैमां को क्यों खोज रहा है….मां मां चिलाते हुएदूर उस…
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वाह रे लोकतंत्र के चौथे खंभे
कभी कभी मुझे यह सवाल कचोटता है कि आखिर हम पत्रकारिता किसके लिए कर रहे हैं। निश्चित ही इसके कई-कई…
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बाबा, बाबा आप कहां हैं..
उत्तराखंड में जलप्रलय के बाद मचा तांडव हमारे अतीत के साथ ही भविष्य को भी बहा ले गया। कहर की…
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मूर्ति के बहने का राष्ट्रीय शोक
ऋषिकेश में एक मूर्ति बही तो देश का पूरा मीडिया ने आसमान सर पर उठा लिया। खासकर तब जब वह…
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मैं, इंतजार में हूं
मैं, समझ गया हूंतुम भी, समझ चुके हो शायदमगर, एक तीसरा आदमी हैजो, चौथे और पांचवे के –बहकावे में आ…
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बेटियां
कई बार देखाबेटियों को बेटा बनते हुएमगर, बेटेहर बार बेटे ही बने देखे इसलिएजोर देकर कहूंगाबेटियां तो ‘बेटियां’ ही होती…
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