Year: 2013
हे उल्लूक महाराज
आप जब कभी किसी के यहां भी पधारे, लक्ष्मी जी ने उसकी योग्यता देखे बगैर उसी पर विश्वास कर लिया।…
Read More »मेरा गाया एक गढ़वाली गीत
1997 में मेरे द्वारा गाया और हेमू द्वारा लिखा गढ़वाली गीत http://www.4shared.com/mp3/5D43gXkv/CHUP_CHA_YUN_GAUN.html
Read More »ड्यूटी च प्यारी बर्फीला लदाख (गढ़वाली गीत)
ड्यूटी च प्यारी बर्फीला लदाख…… http://www.4shared.com/mp3/ljZy9hWc/DUTY_CHA_PYARI.html हेमवतीनंदन भट्ट हेमू’ का लिखा और गाया हुअा एक गीत
Read More »राइट टू रिजैक्ट शुभ, मगर कितना…. ?
राइट टू रिजेक्ट स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ माना जा सकता है, मगर कितना? इस पर भी सोचा जाना चाहिए।…
Read More »तय मानो
तय मानोंदेश लुटेगाबार-बार, हरबार लुटेगातब-तब, जब तक खड़े रहोगे चुनाव के दिनअंधों की कतारों मेंसमझते रहोगे-ह्वां- ह्वां करतेसियारों के क्रंदन…
Read More »क्या यह चिंताएं वाजिब लगती हैं..
कोश्यारी जी को चिंता है कि यदि आपदा प्रभावित गांवों को जल्द राहत नहीं दी गई तो नौजवान माओवादी हो…
Read More »कौन संभालेगा पहाड़ों को…
अब तक या कहें आगे भी पलायन पहाड़ की बड़ी चिंता में शामिल रहा, और रहेगा। मगर अब एक और…
Read More »बाबा केदार के दरबार में
जगमोहन ‘आज़ाद’// खुद के दुखों का पिटारा लेखुशीयां समेटने गए थे वो सबजो अब नहीं है…साथ हमारे,बाबा केदार के दरबार में…
Read More »क्या फर्क पड़ता है
ये इतनी लाशेंकिस की हैंक्यों बिखरी पड़ी हैंये बच्चा किसका हैमां को क्यों खोज रहा है….मां मां चिलाते हुएदूर उस…
Read More »वाह रे लोकतंत्र के चौथे खंभे
कभी कभी मुझे यह सवाल कचोटता है कि आखिर हम पत्रकारिता किसके लिए कर रहे हैं। निश्चित ही इसके कई-कई…
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