Month: April 2014
लंपट युग में आप और हम
बड़ा मुश्किल होता है खुद को समझाना, साझा होना और साथ चलना। इसीलिए कि ‘युग’ जो कि हमारे ‘चेहरे’…
Read More »वह आ रहा है अभी..
कुछ लोग कह रहे हैंतुम मत आओवह आ रहा है अभी उसके आने से पहलेतुम आओगे, तोकुछ नहीं बदलेगा यहां-वहांन…
Read More »भ्रष्टाचार, आदत और चलन
समूचा देश भ्रष्टाचार को लेकर आतंकित है, चाहता है कि भ्रष्टाचार खत्म् हो जाए। मगर, सवाल यह कि भ्रष्टाचार आखिर…
Read More »हां.. तुम जीत जाओगे
हां.. निश्चित हीतुम जीत जाओगेक्योंकि तुम जानते होजीतने का फनसाम, दाम, दंड, भेद तुम्हें सिर्फ जीत चाहिएएक अदद कुर्सी के लिएजिसके…
Read More »-
आजकल
बदलाव, अवसरवाद और भेड़चाल
अवसरवाद नींव से लेकर शिखर तक दिख रहा है। वैचारिक अस्थिरता के कारण, नेता ही नहीं, पूर्व अफसर और अब…
Read More » -
आजकल
गिरगिट, अपराधबोध और कानकट्टा
आज सुबह से ही बड़ा दु:खी रहा। कहीं जाहिर नहीं किया, लेकिन वह बात बार-बार मुझे उलझाती रही, कि क्याक…
Read More » लो अब मान्यता भी खत्म
लो अब उक्रांद की राज्य स्तरीय राजनीतिक दल की मान्यता भी खत्म हो गई है। तो मान्यता खत्म होने के…
Read More »