Year: 2019
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तमsलि़ उंद गंगा: सांस्कृतिक विरासत का दस्तावेज़
आशीष सुंदरियाल // आज के समय में जब हमें ‘अबेर’ नहीं होती बल्कि हम ‘late’ हो रहे होते हैं, हम…
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मजबूत इच्छाशक्ति से मिला ‘महेशानन्द को मुकाम
डॉ. अरुण कुकसाल // ‘गांव में डड्वार मांगने गई मेरी मां जब घर वापस आई तो उसकी आखें आसूओं से…
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संस्कृति
पहाड़ के लोकजीवन में रची बसी रोपणी
संजय चौहान // पहाड़ के लोकजीवन मे अषाड़ महीने का सदियों से गहरा नाता रहा…
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देवदार
अनिल कार्की // मेरे पास अन्नत की यात्राएं नहीं न ही यात्राओं के दस्तावेज मैं देवदार हूँ मनिप्लाँट होना मेरे…
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गढ़वाळि भाषा मानकीकरण पर तीन दिनै कार्यशाला
रमाकान्त बेंजवाल // दून यूनिवर्सिटी, देहरादून मा तीन दिनै (20 जून बिटि 22 जून, 2019 तलक) गढ़वाळि भाषा औच्चारणिक फरक…
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गढ़वाळि भाषा और साहित्य की विकास यात्रा
पुस्तक समीक्षा / समीक्षक- डॉ. अचलानन्द जखमोला // अप्रितम अभिव्यंजना शक्ति, प्रभावोत्पादकता, संप्रेषणीयता, गूढ़ अर्थवता तथा अनेकार्थता को व्यक्त करने…
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शिकैत
धनेश कोठारी// जिंदगी! तू हमेसा समझाणी रै मि बिंगणु बि रौं/ पर माणि कबि नि छौं जिंदगी! तिन सदानि दिखै…
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दानै बाछरै कि दंतपाटी नि गणेंदन्
ललित मोहन रयाल // ऊंकू बामण बिर्तिकु काम छाई। कौ-कारज, ब्यौ-बरात, तिरैं-सराद मा खूब दान मिल्दु छाई। बामण भारि…
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धुंआ-धुंआ (गढ़वाली कविता)
प्रदीप रावत ‘खुदेड़’// डांडी-कांठी, डाळी-बोटी धुंआ व्हेगेन पाड़ मा, मनखि, नेता, कवि, उड़ी तै रुवां व्हेगेन पाड़ मा। देहरादून बटि…
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अथश्री प्रयाग कथाः सिविल सेवा परीक्षा के प्रतियोगियों पर रोचक उपन्यास
– गंभीर सिंह पालनी// प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं को लेकर हिन्दी में लिखे गए उपन्यासों ‘डार्क हॉर्स’…
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