Year: 2021
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हिन्दी-कविता
अब….!
गिर्दा !आपने कहा थाहमारी हिम्मत बांधे रखने के लिए‘जैंता इक दिन त आलो ये दिन ये दुनि में’तब से हम…
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साहित्य
साहित्यकारों के कमरों की कहानी ‘मेरा कमरा’
प्रबोध उनियाल द्वारा संपादित ‘मेरा कमरा’ चालीस लेखकों के अपने अध्ययन कक्ष के संबन्ध में सुखद-दुःखद अनुभवों को समेटे पठनीय…
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आलेख
अद्भुत थी चंद्रकुँवर बर्त्वाल की काव्य-दृष्टि
• बीना बेंजवाल / कैलासों पर उगे रैमासी के दिव्य फूलों को निहारने वाली कवि चंद्रकुँवर बर्त्वाल की काव्य-दृष्टि उस…
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आलेख
प्रकृति का हमसफ़र छायाकार डॉ. मनोज रांगड़
• प्रबोध उनियाल चेहरे में हमेशा मुस्कान, व्यवहार में बेहद आत्मीयता और प्रकृति को अपनी ही नजर से देखने का…
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आलेख
गढ़वाली भाषा के ‘की-बोर्ड’ हैं ‘नरेन्द्र सिंह नेगी’
• बीना बेंजवाल शब्द विभूति एवं लोकानुभूति के माध्यम से गढ़वाली भाषा के संरक्षण, उसके प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान देने…
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आलेख
विलक्षण, बहुमुखी, प्रखर मेधा के धनी हैं ‘गणी’
अग्नि, हवा और पानी- इन तीन ईश्वर प्रदत्त तत्वों के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। चाहे…
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आलेख
अब नहीं दिखते नए पहाड़ी मकानों में उरख्याळी गंज्याळी
– डॉ. सुनील दत्त थपलियाल ओखली अब हिन्दी की किताबों में ‘ओ’ से ओखली के अलावा शायद ही कहीं देखने…
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आलेख
साहित्य प्रेमियों के बीच आज भी जिंदा हैं अबोध बन्धु बहुगुणा
आशीष सुंदरियाल गढ़वाळी भाषा का सुप्रसिद्ध साहित्यकार अबोध बन्धु बहुगुणा जी जौंको वास्तविक नाम नागेन्द्र प्रसाद बहुगुणा छौ, को जन्म…
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