स्वागत सत्कार (गढ़वाली कविता)
नयि सदी नया बरस
तेरु स्वागत तेरु सत्कार
हमरा मुल्क कि
मोरी मा नारेंण
खोळी मा गणेश
चौंरौं कि शक्ति
द्यब्तौं कि भक्ति
कर्दी जग्वाळ्
तेरु त्यौहार
हमरि गाणि
बस्स इतगा स्याणि
पछाण कि च लपस्या
साक्यूं कि च तपस्या
हमरा बाग हमरा बग्वान
पसर्यूं बसंत
गुणमुणौंद भौंर सी
उलार्या बगच्छट बणिं
घड़ेक थौ बिसौ
हमरा गुठ्यार
ऐंसू धारि दे
हळ्या का कांद मा हौळ्
बळ्दुं दग्ड़ि
बारामासी टुटीं वीं कुल बटै
हमरि डोखरी पुंगड़्यों मा
लगैदे धाण कि पवांण
सेरा उखड़ उपजै नयिं नवांण
कर कुछ यन सुयार
औजि तैं पकड़ै लांकुड़
गौळा उंद डाळी दे ढोल
गुंजैदे डांडी कांठ्यों मा
पंडौं अर जैंति का बोल
अणसाळ् गड़्वै छुणक्याळी दाथुड़ी
बुंणि दे दाबला अर पैलुड़ी
अपणा ठक्करूं दिशा कि खातिर
मिली जैलि
त्वै बि ड्डवार
कुळैं देवदारुं बिटि छिर्की
पैटैदे पौन बणैक रैबार
वे मुल्क हपार
जखन बौडिक नि ऐनि
हमरा बैख
बैण्यों कि रखड़ी
ब्वै कु उलार
जग्वाळ् च
बादिण बौ का ठुमकौं थैं
अर पठाळ्यों का घार
हे चुचा
अब त बणिजा
हमरा ब्यौ कु मंगल्यार।
Source- Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
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