व्यंग्यलोक

आखिर यम हैं हम..!!! (हास्य-व्यंग्य)

धनेश कोठारी //
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ब्रह्मलोक में वापस लौटते ही यमराज अपना गदा एक तरफ, मुकुट दूसरी तरफ, भैंस तीसरी तरफ और बर्दी चौथी साइड फेंककर अमरीश पुरी के अंदाज में गरजे- आखिर यम हैं हम!!
यमराज के इस अंदाज को देखकर पहले पहल चित्रगुप्त महाराज सन्न रह गए। उन्होंने यमराज का कभी ऐसा रूप नहीं देखा था और ना ही उनकी ऐसी डायलॉग डिलीवरी देखी थी!! एकबारगी वह यमराज का अनपेक्षित आक्रोश देखकर कांपे, मगर फिर चुपके से पूछा- मित्र यम! क्या बात है ?? आज अकारण रोष क्यों ?? पृथ्वीलोक में सब खैरियत तो है ??
यमराज- बस, पूछो मति ना महाराज…
चित्रगुप्त- लेकिन बताओ तो सही, कहीं लेट आने के पनिशमेंट से बचने के लिए प्रोपगंडा की जमीन तैयार करने का इरादा तो नहीं ??
यमराज- महाराज!! भेजा बहुत पकेला है, प्रेशर की और सीटी मत बजाओ…!
चित्रगुप्त भांप गए कि पृथ्वीलोक में कुछ ज्यादा ही ‘ऐड़ा-पेड़ा’ हो गया या फिर… यमराज शायद कहीं लिंचिंग के चक्रव्यूह में फंस गए..!! फिर सोचा कि जिस काम के लिए भेजा था, देर से ही सही वह तो हो गया…।
खैर, माहौल चेंज करना था, तो बोले- अच्छा चलो बैठकर दार्जिलिंग वाली ग्रीन टी पीते हैं। वहीं पर आगे की चरचा कर लेंगे…।
चाय की बात सुननी थी कि यमराज भड़क उठे- भाड़ में गई तुम्हारी ‘चाय पे चरचा..’। यहां नौकरी के वांदे पड़ने वाले हैं और आपको ‘चाय पे चर्चा’ की सूझ रही है!!
चित्रगुप्त- भई, तुम्हें कब से नौकरी की चिंता सताने लगी। यहां कौन से आर्थिक मंदी आ रही है? ये मंदी-वंदी से घबराना तो इंसानों का काम है और पृथ्वीलोक में आजकल तो सब बेफिक्र हैं। नौकरी- वौकरी की किसी को चिंता नहीं..! रोज 24X7 मीडिया बुलेटिन’ में सब बढ़िया बताया जा रहा है..!!
यमराज – ओह! तो महाराज आप भी आ गए आखिर ‘टीआरपी’ के चक्कर में…। चैनलों में गोदी टाइप डिबेटें देख ली होंगी आपने..!!
चित्रगुप्त – हां, आजकल मीडिया बुलेटिन में डिबेटें बड़ी गरमागरम होती हैं…। कदि कोई सवाल खड़े करता है तो एंकर ही उसे वहीं डपटकर चित्त कर डालता है…। भई! ऐसी डिबेटों में मजा बड़ा आ रहा आजकल..!!
यमराज – पर, कुछ चैनल रियल टाइप स्टोरी भी तो कर रहे हैं…!!
चित्रगुप्त – हां, चैनल बदलते वक्त देखे तो थे ऐसे बुलेटिन… मगर भई बड़े बोर करते हैं भई ये…। पोजाटिव तो कछु दिखाते ही नहीं ससुरे…!!
यमराज – महाराज! भेजा फ्राई करना पड़ता है, तब जाकर नेगटिव- पोजाटिव समझ आता है। आप भी शायद ‘स्लेट खड़िया’ के जमाने की पढ़ाई भुल गए..!! लगता है कि आप तक भी ‘वाट्सएप यूनिवर्सिटी’ के सेलेबस पहुंचने लगे हैं…?? बता रे कि पृथ्वीलोक में आजकल ये यूनिवर्सिटी बड़ी फल-फूल रही है…।
यमराज के भाषण से पिंड छुड़ाने की गरज से चित्रगुप्त बोले – अच्छा, चलो छोड़ो, तुम्हीं बताओ.. असल कहानी…! कहीं तुम्हें भी तो एयरपोर्ट से वापस नहीं लौटा दिया..?? मीडिया में बता रये थे कि कईयों को अब एयरपोर्ट से बाहर तक नहीं आने दिया जा रहा..।
यमराज – महाराज! असल कहानी ही तो बड़ी रोचक है और खुन्नस वाली भी…। बस यूं समझो कि अब आप ही बचे हो… जिसे ‘‘टेढ़े अंगने में ता-ता थैया’’ करना बाकी है!! पृथ्वीलोक में अब तो वो भी मिट्ठी-मिट्ठी जुगाली में लग गए हैं, जो कल तक खट्टी डकारें ले रहे थे…!!
चित्रगुप्त- भई यम! पहेली ना बुझाओ। साफ-साफ बताओ कि आखिर ‘अमरीश पुरी’ क्यों हुए जा रहे हो ??
यमराज – महाराज! आपने मुझे पृथ्वीलोक में क्यों भेजा था??
चित्रगुप्त- एक बड़ा असाइनमेंट पूरा करने के लिए..!!
यमराज- कब, यानि कितने दिन पहले भेजा था..??
चित्रगुप्त- ये तो वो लाल कपड़े में लिपटे ‘‘बहीखाते’’ को देखकर बताना पड़ेगा..।
यमराज- तो फिर देखिए..!! मेरी हाजिरी और अपसेन्ट भी चेक कर लेना जरा…!!
चित्रगुप्त महाराज बक्से में रखी पोथियों को निकालकर उलटने- पलटने लगे…। कुछ देर बाद बोले- अरे हां! तुम्हें तो 15-20 दिन पहले भेजा था पृथ्वीलोक में…। बहुत दिनों से अपसेन्ट भी चल रहे हो..!!
वो तो शुक्र है कि तुम्हारे चेले चपाटे विदेश भ्रमण पर नहीं गए, वरना यहां की ‘जीडीपी ग्रोथ’ भी थम जाती..!!
यमराज – महाराज! जीडीपी अभी नहीं थमी है तो क्या हुआ… थोड़ा इंतजार करिए..!! यहां की जीडीपी भी अब स्वर्ग- नरक के बीच गोते लगाएगी..!! ग्रोथ रुकेगी.. तो हमारी ‘तनखा’ भी नहीं निकलेगी… और एक दिन हमें भी मजबूरन… नौकरी छोड़नी पड़ेगी..। फिर तीनों लोक की बैलेंस सीट बिगड़ेगी… वो अलग…।
चित्रगुप्त – क्या मतलब है तुम्हारा यम!!
यमराज – महाराज! आपने 15-20 दिन पहले मुझे भेजा था… डिलीवरी का ‘टाइम बॉन्ड’ भी सेट था…। मगर लग रहा है कि पृथ्वीलोक पर सरकारी ठेकों के पूरे होने की मियाद की तरह अब हमें भी वक्त-वक्त पर ‘एक्सटेंशन’ (तारीख पे तारीख) की कंडीशन अप्लाई करनी पड़ेगी…!!
चित्रगुप्त – लगता है पृथ्वीलोक के भ्रमण ने तुम्हारे दिमाग की दही कर दी है…??
यमराज – नहीं महाराज! कल तक इंस्टीट्यूशन में ही दखल की बात हो रही थी, अब तो हमारे काम में भी इंटरफेयरेंस होने लगा है…!!
चित्रगुप्त – मित्र यम!! थोड़ा तस्वीर और साफ करो… कुछ समझ नहीं आ रहा है…। ये जीडीपी, नौकरी, इंटरफेयरेंस, इंस्टीट्यूशन…. आखिरी माजरा क्या है…??
यमराज – जनाब!
चित्रगुप्त – यमराज!! माइंड यूवर लैंग्वेज…। क्या बके जा रहे हो..?? ये कौन सी लैंग्वेज है… कहां से सीख ली…??
यमराज – कूल डाउन महाराज- कूल डाउन… बस अब आदत डाल लीजिए…। ये सब वाट्सएप यूनिवर्सिटी का सेलेबस है… बस यूं समझो… ‘अली-बली-खली’ सब होने वाला है..!!
चित्रगुप्त – खैर, ये छोड़ो.. असल मुद्दे पर आओ…।
यमराज – महाराज! अब पृथ्वीलोक पर हमें तब तक डिलीवरी नहीं मिलती है, जब तक कि उसका मीडिया बुलेटिन जारी नहीं हो जाता या वाट्सएप यूनिवर्सिटी के ग्रुप्स में डिक्लेयर नहीं कर दिया जाता..।
चित्रगुप्त – मतलब…??
यमराज – हमें ‘‘डिलीवरी’’ देने के लिए अब बाकायदा ‘‘मुहूर्त’’ निकाला जा रहा है..!!
चित्रगुप्त – लेकिन, मुहूर्त तो तुम डिसाइड करते थे अब तक…!!
यमराज – बस यूं समझो महाराज, कि अब हमारे कायदे कानून का लागू होना मुमकिन नहीं है..!!
चित्रगुप्त – तो, फिर कौन डिसाइड कर रहा है…??
यमराज – महाराज ये ना पूछो…!! जिस मीडिया बुलेटिन पर आपका भरोसा है, उसी से अंदाजा लगा लो…!!
चित्रगुप्त – ओह! तो… अब हमारी ‘जीडीपी’ का क्या होगा..??
फोटो साभार- Google

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