हिन्दी-कविता
बल हमारे गांव में

चंदन नेगी//
बैठकों में हल टंगे हैं.. बल हमारे गांव में
अब नेताओं के मजे हैं.. बल हमारे गांव में
एक धारा था पानी का वो भी प्यासा हुआ
नल भी छल करने लगे हैं.. बल हमारे गांव में
कैसे कह दूं गांव में किलकारियों के गूंज है
दादा दादी रह गए हैं.. बल हमारे गांव में
चाहती ही ठीक हो, दादी मगर बीमार है
डॉक्टर छुट्टी पर गए हैं.. बल हमारे गांव में
अब नहीं देती सुनाई कूक कोयल की वहां
पास के जंगल जले हैं.. बल हमारे गांव में
बैठकर बस में जवानी शहर को जाने लगी
गांव सड़कों से जुडे़ हैं.. बल हमारे गांव में
जंगलों की छांव को छूना मना है क्या करें
बाघ के पहरे लगे हैं.. बल हमारे गांव में
खेत में सीमेंट सरियों की बुवाई के लिए
सेठजी आने लगे हैं.. बल हमारे गांव में
साभार – जयदीप सकलानी