आलेख
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गढ़वाली भाषा के ‘की-बोर्ड’ हैं ‘नरेन्द्र सिंह नेगी’
• बीना बेंजवाल शब्द विभूति एवं लोकानुभूति के माध्यम से गढ़वाली भाषा के संरक्षण, उसके प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान देने…
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विलक्षण, बहुमुखी, प्रखर मेधा के धनी हैं ‘गणी’
अग्नि, हवा और पानी- इन तीन ईश्वर प्रदत्त तत्वों के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। चाहे…
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अब नहीं दिखते नए पहाड़ी मकानों में उरख्याळी गंज्याळी
– डॉ. सुनील दत्त थपलियाल ओखली अब हिन्दी की किताबों में ‘ओ’ से ओखली के अलावा शायद ही कहीं देखने…
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साहित्य प्रेमियों के बीच आज भी जिंदा हैं अबोध बन्धु बहुगुणा
आशीष सुंदरियाल गढ़वाळी भाषा का सुप्रसिद्ध साहित्यकार अबोध बन्धु बहुगुणा जी जौंको वास्तविक नाम नागेन्द्र प्रसाद बहुगुणा छौ, को जन्म…
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कल की सी ही बात है
• डॉ. अतुल शर्मा प्रकृति के सुकुमारतम कवि श्री सुमित्रानंदन पंत की आज शुभ जयंती है। कल की सी ही…
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उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों की ये जनजातियां
नवीन चंद्र नौटियाल // उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के समाज में अन्य के साथ ही कई जनजातियां…
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गढ़वाल की राजपूत जातियों का इतिहास (भाग-1)
संकलनकर्ता- नवीन चंद्र नौटियाल // उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में निवास करने वाली राजपूत जातियों का इतिहास भी काफी…
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गढ़वाल की ब्राह्मण जातियों का इतिहास- (भाग 1)
उत्तराखंड के गढ़वाल (मंडल) परिक्षेत्र में अनेकों जातियों का निवास है। उनका इतिहास हमारी धरोहर है। जरूरी है कि आज…
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महज 4 खेतों में उगा दी 27 तरह की फसलें
हिमालयी राज्य उत्तराखंड में ‘चिपको’ और ‘बीज बचाओ’ आंदोलन की प्रयोग भूमि जनपद टिहरी की ‘हेंवल घाटी’ का रामपुर गांव।…
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मैं लक्ष्मणझूला सेतु हूं…! (भाग – 2)
हां, मैं लक्ष्मणझूला सेतु हूं! मैं अब बूढ़ा हो चला हूं। लेकिन मैं इतना कमजोर भी नहीं की मृत्यु के…
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