साहित्य
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सतपुळी मोटर बोगिन खास… (गढ़वाली लोकगीत)
द्वी हजार आठ भादौं का मास, सतपुळी मोटर बोगिन खास। से जावा भै-बन्दों अब रात ह्वेगे, रुण-झुण रुण-झुण बरखा लैगे।काल…
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लोक के सांस्कृतिक आलोक के पर्याय डीआर
• बीना बेंजवालहिमालयी राज्य उत्तराखंड में लोकनाट्य एवं लोक संगीत की विरासत का संरक्षण करते हुए लोक की सांस्कृतिक समृद्धि…
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गढवाली भाषा में सत्य नारायण ब्रत कथा
भगवान सत्य नारायण जी की प्रेरणा से मिथैं भगवान सत्य देव की कथा कु पद्यानुवाद कनौ अंतनिर्हित आदेश ह्वै। अर…
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गढ़वाली कहानीः छठों भै कठैत की हत्या!
प्रतीकात्मक चित्र • भीष्म कुकरेती / हौर क्वी हूंद त डौरन वैक पराण सूकि जांद पण मेहरबान सिंग कठैत…
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समीक्षाः जीवन के चित्रों की कथा है ‘आवाज रोशनी है’
बचपन की स्मृतियां कभी पीछा नहीं छोड़तीं। कितना भी कहते रहो ’छाया मत छूना मन’ मन दौड़ता रहता है दादी,…
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गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी की शब्दावली में विदेशी शब्द
संकलन- भीष्म कुकरेती अरबी और इरानी शब्द अ- अक्षर से शब्द – अदब , अमरुद , अब्बल , असर ,…
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जसपुर के बहुगुणाओं का गढ़वाली टीका साहित्य में योगदान
• भीष्म कुकरेती गढ़वाली साहित्यकार एवं इतिहासकार अबोध बंधु बहुगुणा ने ’गाड म्यटेकी गंगा’ पुस्तक में संस्कृत ज्योतिष व कर्मकांड…
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माँ अब कुछ नहीं कहती – (हिंदी कविता)
माँ अब कभी-कभी आती है सपनों में चुप रहती है, कुछ नहीं कहती माँ सुनाती थी बातों-बातों में जीवन के…
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अब….!
गिर्दा ! आपने कहा था हमारी हिम्मत बांधे रखने के लिए ‘जैंता इक दिन त आलो ये दिन ये दुनि…
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साहित्यकारों के कमरों की कहानी ‘मेरा कमरा’
प्रबोध उनियाल द्वारा संपादित ‘मेरा कमरा’ चालीस लेखकों के अपने अध्ययन कक्ष के संबन्ध में सुखद-दुःखद अनुभवों को समेटे पठनीय…
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