गढ़वाली-कविता
- 
 वेलेन्टाइन (गढ़वाली कविता)हे वीं तू बि अदान छैं त्वेखुणि बि क्य ब्वन्न हैप्पी वेलेन्टाइन!! Copyright@ Dhanesh Kothari Read More »
- स्वागत सत्कार (गढ़वाली कविता)- नयि सदी नया बरस तेरु स्वागत तेरु सत्कार हमरा मुल्क कि मोरी मा नारेंण खोळी मा गणेश चौंरौं कि शक्ति… Read More »
- चौंठी भुक्कि (गढ़वाली कविता)- छौं मि ये ही मुल्क कु, भुलिग्यों यख कि माया भुलिग्यों वा चौंठी भुक्कि, कोख जैंन मि खिलाया कन नचदा… Read More »
- दारु- दारु !पगळीं च बगणि चडांडी कांठ्यों धरु-धरुपीड़ बिसरौण कुमाथमि, द्यब्तौं सि सारु गंगा उंद बगदीदारु उबां-उबां टपदीपैलि अंज्वाळ् अदुड़ि/फेर, पव्वा… Read More »
- सौदेर- माया का सौदेर छां हमइन्कलाब जिन्दाबादबैर्यों बग्तौ चेति जावानिथर होण मुर्दाबाद कथगै अंधेरू होलुहम उज्याळु कैद्योंलाभाना कि बिंदुलि मागैणौं तैं… Read More »
- 
 फेक्वाळ् (गढ़वाली कविता)भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि अंरोंगु कखि छोड़युं नि संगति फैल्यान् सेमा सि फेक्वाळ् धुर्पळा कि पठाळी उठा चौक का… Read More »
- सिखै (गढ़वाली कविता)- सिहमरा बीच बजारदुकानि खोलीभैजी अर भुलाब्वन्न सिखीगेन मिदेळी भैर जैकिभैजी अर भुलाब्वन्न माशर्माणूं सिखीग्यों Copyright@ Dhanesh Kothari Read More »
- 
 पण कब तलक (गढ़वाली कविता)मेरा बिजाल्यां बीज अंगर्ला सार-खार मेरि भम्मकली गोसी कबि मेरु भुक्कि नि जालू कोठार, दबलौं कि टुटलि टक्क पण, कब… Read More »
- 
 बाघबाघगौं मा जंगळुं मा मनखि ढुक्यां छन रात-दिन डन्ना छन घौर-बौण द्वी लुछणान् एक हैंका से आज-भोळ अपणा घौरूं मा ज्यूंद रौण कू संघर्ष आखिर कब… Read More »
- अनसिक्योर्टी (गढ़वाली कविता)- डाल्यों फरैं अंग्वाळ बोट ताकि, डाल्यों तैं अनसिक्योर्टी फील न हो Copyright@ Dhanesh Kothari Read More »



