कहानियां
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गढ़वाली कहानीः छठों भै कठैत की हत्या!
प्रतीकात्मक चित्र • भीष्म कुकरेती / हौर क्वी हूंद त डौरन वैक पराण सूकि जांद पण मेहरबान सिंग कठैत…
Read More » दाताs ब्वारि, कनि दुख्यारि (गढ़वाली कहानी)
कथाकार – भीष्म कुकरेती // गौं मा इन कबि नि ह्वे. इन कैन बि कबि नि देखी. हाँ बुन्याल त-…
Read More »सुदामा चरित नाटिका (गढवालि भाषा)
नरोत्तम दास जी से प्रेरित स्टेज मा सुदामा अर वूं कि पत्नी सुशीला टूटीं फूटीं झोपड़ि का भितर बैठ्यां छन।…
Read More »जैसे को तैसा
( लघुकथा ) गांव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता…
Read More »वह दूसरे जन्म में पानी को तरसती रही
एक परिवार में दो महिलाएं जेठानी और देवरानी रहती थी। जेठानी बहुत दुष्ट और देवरानी शिष्ट, सौम्य, ईमानदार व सेवा…
Read More »काफल पाको ! मिन नि चाखो
‘काफल‘ एक लोककथा उत्तराखंड के एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। गरीबी में किसी तरह दोनों…
Read More »जब प्रेम में जोगी बन गया एक राजा
राजुला-मालूशाही पहाड़ की सबसे प्रसिद्ध अमर प्रेम कहानी है। यह दो प्रेमियों के मिलन में आने वाले कष्टों, दो जातियों, दो देशों, दो…
Read More »एक शराबिक सुपिन
सुन्यू फेन एक इन जवान छौ जै तैं शराब पीणौ ढब पोड़ी गे छौ अर पक्को दरयौड्या ह्व़े गे छौ.…
Read More »समौ (गढ़वाली कहानी)
चंदरु दिल्ली बिटि घौर जाणों तय्यार छौ, अर वेका गैल मा छौ तय्यार ’झबरु’। झबरु उमेद कु पाळ्यूं कुत्ता छौ।…
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