गढ़वाली-कविता
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त्राही-त्राही त्राहिमाम… (गढ़वाली कविता)
• दुर्गा नौटियाल त्राही-त्राही त्राहिमाम, तेरि सरण मा छां आज। कर दे कुछ यनु काज, रखि दे हमारि लाज।। संगता…
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हमर गौंम (गढ़वाली कविता)
केशव डुबर्याळ ‘मैती’// हमर गौंम, आइडिया नेटभर्क च, गोर, बछरू, भ्याल हकै, मनखि निझर्क च। हमर गौंम, पीडब्ल्डी सड़क च,…
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चुनौ बाद (गढ़वाली कविता)
धनेश कोठारी // बिकासन बोलि परदान जी! मिन कबारि औण ? पैलि तुमारा घौर औण कि/ गौं मा औण? अबे!…
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गैळ बळद (गढ़वाली कविता)
आशीष सुंदरियाल// जब बटे हमरु गैळ बळ्द फेसबुक फर फेमस ह्वे तब बटि वो बळ्द/ बळ्द नि रै सेलिब्रिटी बणिगे…
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अब त वा (गढ़वाली ग़ज़ल)
प्रदीप सिंह रावत ‘खुदेड़’ // अब त वीं लोळी तै हमारि याद बि नि सतांदी, अब त वा लोळी हमते…
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यलगार चहेणी (गढ़वाली कविता)
प्रदीप रावत “खुदेड़”// ********************* म्येरा पाड़ तै ज्वान नौनो कि दरकार चाहेणी च , दिल्ली देहरादून न गैरसैणे कि सरकार…
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इ ब्यठुला – इ जनना (गढ़वाली)
गीत (अनुवादित) / पयाश पोखड़ा // ************************* इ ब्यठुला इ जनना कै भि चीजि की खत-पत खत्ता फोळ नि करदा…
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शिकैत
धनेश कोठारी// जिंदगी! तू हमेसा समझाणी रै मि बिंगणु बि रौं/ पर माणि कबि नि छौं जिंदगी! तिन सदानि दिखै…
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धुंआ-धुंआ (गढ़वाली कविता)
प्रदीप रावत ‘खुदेड़’// डांडी-कांठी, डाळी-बोटी धुंआ व्हेगेन पाड़ मा, मनखि, नेता, कवि, उड़ी तै रुवां व्हेगेन पाड़ मा। देहरादून बटि…
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मेरि ब्वै खुणै नि आइ मदर्स डे (गढ़वाली कविता)
पयाश पोखड़ा // मेरि तींदि गद्यलि निवताणा मा, मेरि गत्यूड़ि की तैण रसकाणा मा, लप्वड़्यां सलदरास उखळजाणा मा, मेरि ब्वै…
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