गढ़वाली-कविता

  • फेक्वाळ् (गढ़वाली कविता)

    भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि अंरोंगु कखि छोड़युं नि संगति फैल्यान् सेमा सि फेक्वाळ् धुर्पळा कि पठाळी उठा चौक का…

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  • सिखै (गढ़वाली कविता)

    सिहमरा बीच बजारदुकानि खोलीभैजी अर भुलाब्वन्न सिखीगेन मिदेळी भैर जैकिभैजी अर भुलाब्वन्न माशर्माणूं सिखीग्यों Copyright@ Dhanesh Kothari

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  • पण कब तलक (गढ़वाली कविता)

    मेरा बिजाल्यां बीज अंगर्ला सार-खार मेरि भम्मकली गोसी कबि मेरु भुक्कि नि जालू कोठार, दबलौं कि टुटलि टक्क पण, कब…

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  • बाघ

    बाघगौं मा    जंगळुं मा मनखि   ढुक्यां छन रात-दिन डन्ना छन घौर-बौण द्‌वी   लुछणान्‌ एक हैंका से आज-भोळ    अपणा घौरूं मा ज्यूंद रौण कू संघर्ष   आखिर कब…

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  • अनसिक्योर्टी (गढ़वाली कविता)

    डाल्यों फरैं अंग्वाळ बोट ताकि, डाल्यों तैं अनसिक्योर्टी फील न हो Copyright@ Dhanesh Kothari  

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  • मेरि पुंगड़्यों (गढ़वाली कविता)

    मेरि पुंगड़्योंहौरि धणि अब किछु नि होंदपण, नेता खुब उपजदन् मेरि पुंगड़्योंबीज बिज्वाड़खाद पाणिलवर्ति-मंड्वर्तिकिछु नि चैंदस्यू नाज पाणिडाळा बुटळाखौड़ कत्यार…

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  • कागजि विकास (गढ़वाली कविता)

    घाम लग्युं च कागजि डांडोंकाडों कि च फसल उगिंआंकड़ों का बांगा आखरुं माउखड़ कि भूमि सेरा बणिंघाम लग्युं च…………. ढांग…

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  • उत्तराखण्ड बणौंण हमुन् (गढ़वाली कविता)

    अब कैकू नि रोण हमुनउत्तराखण्ड बणौंण हमुन उजाड़ कुड़ि पुंगड़्यों तैंउदास अळ्सी मुखड़्यों तैंफूल अरोंगि पंखड़्यों तैंपित्तुन पकीं ज्युकड़्यों तैंअब…

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  • गांधीवाद (गढ़वाली कविता)

          सि बिंगौंणा छनगांधीवाद अपनावाबोट देण का बादगांधी का तीनबांदरूं कि तरांआंखा-कंदुड़/ अरमुक बुजिद्‌यावा Source : Jyundal (A…

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  • अब तुम (गढ़वाली कविता)

    अब तुम सिंग ह्वेग्यांरंग्युं स्याळ् न बण्यांन्सौं घैंटणौं सच छवांकखि ख्याल न बण्यांन् उचाणा का अग्याळ् छवांताड़ा का ज्युंदाळ् न…

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