गढ़वाली-कविता
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हम त गढ़वळी……
हम त गढ़वळी छां भैजी दूर परदेस कखि बि हम तैं क्यांकि शरम अब त अलग च राज हमरु अलग…
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जलम्यां कु गर्व (हिन्दी कविता)
गर्व च हम यिं धरती मा जल्म्यां उत्तराखण्डी बच्योंण कु देवभूमि अर वीर भूमि मा सच्च का दगड़ा होण कु…
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प्रीत खुजैई (हिन्दी कविता)
रीतु न जै रेप्रीत खुजैईमेरा मुलकै किसमोण लिजैईरीतु न जै रे फुलूं कि गल्वड़्यों माभौंरौं कु प्यारहर्याळीन् लकदकडांड्यों कि अन्वारछोयों…
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शैद
उजाड़ी द्या युंका चुलड़ौं शैद, मौन टुटी जावू खैंणद्या मरच्वाड़ा युंका शैद, आंखा खुलि जौंन रात बासा रौंण न द्या…
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गैरा बिटि सैंणा मा (गढवाली कविता)
हे द्यूरा! स्य राजधनि गैरसैंण कब तलै ऐ जाली?बस्स बौजि! जै दिन तुमरि-मेरि अर हमरा ननतिनों का ननतिनों कि लटुलि…
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पहाड़ आवा (गढवाली कविता)
हमरि पर्यटन कि दुकानि खुलिगेन पहाड़ आवाहमरि चा कि दुकान्यों मा ‘तू कप- टी’ बोली जावा पहाड़ आवा हमरा गुमान…
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चुसणा मा… (गढवाली कविता)
बस्स बोट येक दे ही द्या हात ज्वड़्यां खुट्टम् प्वड़दां बक्कै बात हमुन जाणि किलै कि/ भोळ् त चुसणा मा…
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लोक – तंत्र (गढवाली कविता)
हे रे लोकतंत्र कख छैं तू अजकाल गौं मा त् प्रधानी कि मोहर वीं कू खसम लगाणु च बिधानसभा मा…
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सोरा (गढवाली कविता)
सोरा भारा कैका ह्वेन जैंन माणिं सि बुसेन कांद लगै उकाळ् चढै़ तब्बि छाळों पर घौ लगैन दिन तौंकु रात…
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बणिगे डाम
१ बणिगे डाम लगिगे घाम प्वड़िगे डाम मिलिगेन दाम २ सिद्ध विद़द खिद्वा गिद्ध उतरिगेन लांकि मान ३ सैंन्वार खत्म…
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