गढ़वाली-कविता
पण… (गढ़वाली कविता)
ग्वथनी का गौं मा बल सुबेर त होंदी च/ पण पाळु नि उबौन्दु ग्वथनी का गौं मा बल घाम त…
Read More »चुनू (गढ़वाली कविता)
हे जी! अब/ चुनौ कू बग्त औंण वाळु च तुमन् कै जिताण अरेऽ अबारि दां मिन अफ्वी खड़ु ह्वेक सबूं…
Read More »भरोसा कू अकाळ (गढ़वाली कविता)
जख मा देखि छै आस कि छाया वी पाणि अब कौज्याळ ह्वेगे जौं जंगळूं कब्बि गर्जदा छा शेर ऊंकू रज्जा…
Read More »बांजि बैराट (गढ़वाली कविता)
हे जी! अब त अपणु राज अपणु पाट स्यू किलै पकड़ीं स्या खाट अरे लठ्याळी! बिराणु नौ बल बिराणा ठाट…
Read More »गौं कु विकास (गढ़वाली कविता)
हे जी! इन बोदिन बल कि गौं का विकास का बिगर देश अर समाज कु बिकास संभव नि च हांऽ…
Read More »हम त गढ़वळी……
हम त गढ़वळी छां भैजी दूर परदेस कखि बि हम तैं क्यांकि शरम अब त अलग च राज हमरु अलग…
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जलम्यां कु गर्व (हिन्दी कविता)
गर्व च हम यिं धरती मा जल्म्यां उत्तराखण्डी बच्योंण कु देवभूमि अर वीर भूमि मा सच्च का दगड़ा होण कु…
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प्रीत खुजैई (हिन्दी कविता)
रीतु न जै रेप्रीत खुजैईमेरा मुलकै किसमोण लिजैईरीतु न जै रे फुलूं कि गल्वड़्यों माभौंरौं कु प्यारहर्याळीन् लकदकडांड्यों कि अन्वारछोयों…
Read More » शैद
उजाड़ी द्या युंका चुलड़ौं शैद, मौन टुटी जावू खैंणद्या मरच्वाड़ा युंका शैद, आंखा खुलि जौंन रात बासा रौंण न द्या…
Read More »गैरा बिटि सैंणा मा (गढवाली कविता)
हे द्यूरा! स्य राजधनि गैरसैंण कब तलै ऐ जाली?बस्स बौजि! जै दिन तुमरि-मेरि अर हमरा ननतिनों का ननतिनों कि लटुलि…
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