हिन्दी-कविता
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माँ अब कुछ नहीं कहती – (हिंदी कविता)
माँ अब कभी-कभी आती है सपनों में चुप रहती है, कुछ नहीं कहती माँ सुनाती थी बातों-बातों में जीवन के…
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अब….!
गिर्दा !आपने कहा थाहमारी हिम्मत बांधे रखने के लिए‘जैंता इक दिन त आलो ये दिन ये दुनि में’ तब से…
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मैं पहाड़ हूं (हिन्दी कविता)
• मदन मोहन थपलियाल ’शैल’ मैं पहाड़ (हिमालय) हूं विज्ञान कहता है यहां पहले हिलोरें मारता सागर था दो भुजाएं…
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महा क्रांति आमंत्रित कर (हिन्दी कविता)
• श्रीराम शर्मा ‘प्रेम’ तेरे शोणित, तेरी मज्जा से – सने धवल प्रासाद खड़े। तेरी जीवन से ही निर्मित, तेरी…
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मान राम (हिन्दी कविता)
अनिल कार्की // मानराम ! ओ बूढ़े पहाड़ लो टॉफी खा लो चश्मा पौंछ लो मेरे पुरखे टॉफी की पिद्दी…
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मैंने या तूने (हिन्दी कविता)
प्रदीप रावत ‘खुदेड़’ // मैंने या तूने, किसी ने तो मशाल जलानी ही थी चिंगारी मन में जो जल रही…
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तय करो किस ओर हो तुम
बल्ली सिंह चीमा // तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो । आदमी के पक्ष में…
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देवदार
अनिल कार्की // मेरे पास अन्नत की यात्राएं नहीं न ही यात्राओं के दस्तावेज मैं देवदार हूँ मनिप्लाँट होना मेरे…
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कही पे आग कहीं पे नदी बहा के चलो
जनकवि- डॉ. अतुल शर्मा/ गांव-गांव में नई किताब लेके चलो कहीं पे आग कहीं पे नदी बहा के चलो। हर…
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बल हमारे गांव में
चंदन नेगी// बैठकों में हल टंगे हैं.. बल हमारे गांव में अब नेताओं के मजे हैं.. बल हमारे गांव में…
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