साहित्य
गिरीश सुंदरियालौ नाटक असगार मा चरित्र चित्रण – फाड़ी -१
इकीसवीं सदी क गढ़वाळी स्वांग/नाटक -२ ‘असगार’ गिरीश सुन्दरियालौ स्वांग खौळ ‘असगार’ मादे एक स्वांग च . हाँ असगार मा…
Read More »मध्य हिमालयी भाषा का तुलनात्मक अध्ययन
मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -6 (गढ़वाली में सर्वनाम विधान) इस लेखमाला का उद्देश्य…
Read More »मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -5
इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है…
Read More »मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -4
(इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है…
Read More »मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण तुलनात्मक अध्ययन
(इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है…
Read More »मध्य हिमालयी कुमाउनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलानाम्त्क अध्ययन
(इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है…
Read More »गढवाली में गढवाली भाषा सम्बन्धी साहित्य
गढवाली में गढ़वाली भाषा, साहित्य सम्बन्धी लेख भी प्रचुर मात्र में मिलते हैं. इस विषय में कुछ मुख्य लेख इस…
Read More »भाषा संबंधी ऐतिहासिक वाद-विवाद के सार्थक सम्वाद
गढवाली भाषा में भाषा सम्बन्धी वाद-विवाद गढवाली भाषा हेतु विटामिन का काम करने वाले हैं. जब भीष्म कुकरेती के ‘गढ़…
Read More »मानकीकरण पर आलोचनात्मक लेख
मानकीकरण गढवाली भाषा हेतु एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और मानकीकरण पर बहस होना लाजमी है. मानकीकरण के अतिरिक्त गढवाली में…
Read More »वीरेन्द्र पंवार की गढवाली भाषा में समीक्षाएं
वीरेन्द्र पंवार गढवाली समालोचना का महान स्तम्भ है. पंवार के बिना गढवाली समालोचना के बारे में सोचा ही नहीं जा…
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