साहित्य
उदास न हो (गढ़वाली कविता)
आज अबि उदास न होभोळ त् अबि औण चआस न तोड़ मन न झुरौपाळान् त् उबौण ई च कॉपीराइट- धनेश…
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वेलेन्टाइन (गढ़वाली कविता)
हे वीं तू बि अदान छैं त्वेखुणि बि क्य ब्वन्न हैप्पी वेलेन्टाइन!! Copyright@ Dhanesh Kothari
Read More » गैरसैंण जनता खुणि चुसणा च
जब बिटेन उत्तराखंड अन्दोलनै पवाण लग अर राज्यौ राजधनी छ्वीं लगी होली त गैरसैंण कु इ नाम गणेंगे। गैरसैंण राजधानी…
Read More »न्युतो
दगड्यों! पैथ्राक दस सालों बटि नामी-गिरामी चिट्ठी-पतरी(गढ़वळी पत्रिका) कि गढ़वळी भाषै बढ़ोत्तरी मा भौत बड़ी मिळवाक च। यीं पतड़ीन् गढ़वळी…
Read More »स्वागत सत्कार (गढ़वाली कविता)
नयि सदी नया बरस तेरु स्वागत तेरु सत्कार हमरा मुल्क कि मोरी मा नारेंण खोळी मा गणेश चौंरौं कि शक्ति…
Read More »चौंठी भुक्कि (गढ़वाली कविता)
छौं मि ये ही मुल्क कु, भुलिग्यों यख कि माया भुलिग्यों वा चौंठी भुक्कि, कोख जैंन मि खिलाया कन नचदा…
Read More »दारु
दारु !पगळीं च बगणि चडांडी कांठ्यों धरु-धरुपीड़ बिसरौण कुमाथमि, द्यब्तौं सि सारु गंगा उंद बगदीदारु उबां-उबां टपदीपैलि अंज्वाळ् अदुड़ि/फेर, पव्वा…
Read More »सौदेर
माया का सौदेर छां हमइन्कलाब जिन्दाबादबैर्यों बग्तौ चेति जावानिथर होण मुर्दाबाद कथगै अंधेरू होलुहम उज्याळु कैद्योंलाभाना कि बिंदुलि मागैणौं तैं…
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फेक्वाळ् (गढ़वाली कविता)
भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि अंरोंगु कखि छोड़युं नि संगति फैल्यान् सेमा सि फेक्वाळ् धुर्पळा कि पठाळी उठा चौक का…
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