साहित्य
शब्द हैं… (हिन्दी कविता)
पहरों मेंकुंठित नहीं होते शब्दमुखर होते हैंगुंगे नहीं हैं वेबोलते हैंशुन्य का भेद खोलते हैं उनके काले चेहरेसफ़ेद दुधली धुप में…
Read More »कागजि विकास (गढ़वाली कविता)
घाम लग्युं च कागजि डांडोंकाडों कि च फसल उगिंआंकड़ों का बांगा आखरुं माउखड़ कि भूमि सेरा बणिंघाम लग्युं च…………. ढांग…
Read More »उत्तराखण्ड बणौंण हमुन् (गढ़वाली कविता)
अब कैकू नि रोण हमुनउत्तराखण्ड बणौंण हमुन उजाड़ कुड़ि पुंगड़्यों तैंउदास अळ्सी मुखड़्यों तैंफूल अरोंगि पंखड़्यों तैंपित्तुन पकीं ज्युकड़्यों तैंअब…
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गांधीवाद (गढ़वाली कविता)
सि बिंगौंणा छनगांधीवाद अपनावाबोट देण का बादगांधी का तीनबांदरूं कि तरांआंखा-कंदुड़/ अरमुक बुजिद्यावा Source : Jyundal (A…
Read More » सांत्वना (हिन्दी कविता)
दो पीढ़ियों का इन्तजारआयेगा कोईसमझायेगा किउनके आ जाने तक भीनहीं आया था विकासगांव वाले रास्ते के मुहाने पर तुम्हारी आसटुटी…
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पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे दरकने परतुम्हारा चिन्तित होना वाजिब है अब तुम्हें नजर आ रहा हैमेरे साथ अपना दरकता भविष्यलेकिन मेरे दोस्त! देर…
Read More » अब तुम (गढ़वाली कविता)
अब तुम सिंग ह्वेग्यांरंग्युं स्याळ् न बण्यांन्सौं घैंटणौं सच छवांकखि ख्याल न बण्यांन् उचाणा का अग्याळ् छवांताड़ा का ज्युंदाळ् न…
Read More »घंगतोळ् (गढ़वाली कविता)
तू हैंसदी छैं/त बैम नि होंद तू बच्योंदी छैं/त आखर नि लुकदा तू हिटदी छैं/त बाटा नि रुकदा तू मलक्दी…
Read More »घुम्मत फिरत (गढ़वाली कविता)
थौळ् देखि जिंदगी कू घुमि घामि चलिग्यंऊं खै क्य पै, क्य सैंति सोरि बुति उकरि चलिग्यऊं लाट धैरि कांद मा…
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