साहित्य
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कही पे आग कहीं पे नदी बहा के चलो
जनकवि- डॉ. अतुल शर्मा// गांव-गांव में नई किताब लेके चलोकहीं पे आग कहीं पे नदी बहा के चलो। हर आंख…
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अतीत की यादों को सहेजता दस्तावेज
– संस्मरणात्मक लेखों का संग्रह ‘स्मृतियों के द्वार’ – रेखा शर्मा ‘गांव तक सड़क क्या आई कि वह आपको भी…
Read More » मेरि ब्वै खुणै नि आइ मदर्स डे (गढ़वाली कविता)
पयाश पोखड़ा // मेरि तींदि गद्यलि निवताणा मा, मेरि गत्यूड़ि की तैण रसकाणा मा, लप्वड़्यां सलदरास उखळजाणा मा, मेरि ब्वै…
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बल हमारे गांव में
चंदन नेगी// बैठकों में हल टंगे हैं.. बल हमारे गांव मेंअब नेताओं के मजे हैं.. बल हमारे गांव में एक…
Read More » पीले पत्ते
प्रबोध उनियाल // पतझड़ की मार झेल रहेअपने आंगन मेंनीम के पेड़ के पत्तों कोपीला होते हुए देख रहा हूं-…
Read More »मनखि (गढ़वाली-कविता) धर्मेन्द्र नेगी
विकास-विकास चिल्लाण लैगे मनखि बिणास बुलाण लैगे घौ सैणैं हिकमत नि रैगे वेफर हिंवाळ आँखा घुर्याण लैगे उड्यार पुटग दम…
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तन के भूगोल से परे
निर्मला पुतुल// तन के भूगोल से परेएक स्त्री के मन की गांठें खोलकरकभी पढ़ा है तुमनेउसके भीतर का खौलता इतिहास..?…
Read More » ग़ज़ल (गढ़वाली)
दिनेश कुकरेती (वरिष्ठ पत्रकार) – जख अपणु क्वी नी, वख डांडा आगि कु सार छ भैजी, जख सौब अपणा सि…
Read More »जैसे को तैसा
( लघुकथा ) गांव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता…
Read More »हमरु गढ़वाल
कवि श्री कन्हैयालाल डंडरियाल खरड़ी डांडी पुन्गड़ी लाल धरती को मुकुट भारत को भाल हमरु गढ़वाल यखै संस्कृति – गिंदडु,…
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