साहित्य
अथ श्री उत्तराखंड दर्शनम्
नेत्र सिंह असवाल // जयति जय-जय देवभूमि, जयति उत्तराखंड जी कांणा गरूड़ चिफळचट्ट, मनखि उत्तणादंड जी। तेरि रिकदूंल्यूं की जै-जै,…
Read More »वह दूसरे जन्म में पानी को तरसती रही
एक परिवार में दो महिलाएं जेठानी और देवरानी रहती थी। जेठानी बहुत दुष्ट और देवरानी शिष्ट, सौम्य, ईमानदार व सेवा…
Read More »“सुबेर नि हूंदि“ (गज़ल)
काम काज़ा की अब कैथै देर नि हूंदि अजकाल म्यारा गौं मा सुबेर नि हूंदि घाम त तुमरि देळमि कुरबुरि…
Read More »गुलज़ार साहब की कविता “गढ़वाली” में
लोग सै ब्वळदिन, ब्यठुला हैंकि बानि का उलखणि सि हुंदिन । सर्या राति फस्सोरिक नि सिंदिन, कभि घुर्यट त कबरि…
Read More »गोर ह्वेग्यो हम
जैकि मरजि जनै आणी, वु उनै लठ्याणूं छ जैकि गौं जनै आणी, वु उनै हकाणू छ ज्वी जनै पैटाणू छ,…
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हत्यारी सड़क
अतुल सती// ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ तक लेटी है नाग की तरह जबडा फैलाये हत्यारी सडक राममार्ग 58 रोज माँगती है भूखी नर भक्षणी शिकार अब तक…
Read More » काफल पाको ! मिन नि चाखो
‘काफल‘ एक लोककथा उत्तराखंड के एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। गरीबी में किसी तरह दोनों…
Read More »सामयिक गीतों से दिलों में बसे ‘नेगी’
अप्रतिम लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के उत्तराखंड से लेकर देश दुनिया में चमकने के कई कारक माने जाते हैं.…
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