साहित्य
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झड़ने लगे हैं गांव
चारू चन्द्र चंदोला// सूखे पत्तों की तरह झड़ने लगे हैं यहाँ के गाँव उजड़ने लगी है मनुष्यों की एक अच्छी…
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हे रावण
रावण तुम अब तक जिंदा हो, तुम्हें तो मार दिया गया था त्रेता में. … उसके बाद भी सदियों से…
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जै दिन
जै दिन मेरा गोरू तेरि सग्वाड़यों, तेरि पुंगड़यों उजाड़ खै जाला जै दिन झालू कि काखड़ी चोरे जालि जै दिन…
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जब प्रेम में जोगी बन गया एक राजा
राजुला-मालूशाही पहाड़ की सबसे प्रसिद्ध अमर प्रेम कहानी है। यह दो प्रेमियों के मिलन में आने वाले कष्टों, दो जातियों, दो देशों, दो…
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वुं मा बोली दे
गणेश खुगसाल ‘गणी’ गढ़वाली भाषा के लोकप्रिय और सशक्त कवि हैं। ‘वुं मा बोली दे’ उनकी प्रकाशित पहली काव्यकृति है। शीर्षक…
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ये जो निजाम है
ये जो निजाम है तुझको माफ़ कर देगा खुद सोच क्या तू खुद को माफ़ कर देगा बारिशों में भीग…
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मैं हंसी नहीं बेचता
जी हां मैं हंसी नहीं बेचता न हंसा पाता हूं किसी को क्योंकि मुझे कई बार हंसने की बजाए रोना…
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वह आ रहा है अभी..
कुछ लोग कह रहे हैं तुम मत आओ वह आ रहा है अभी उसके आने से पहले तुम आओगे, तो…
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