हिन्दी-कविता
बेटियां
कई बार देखा
बेटियों को बेटा बनते हुए
मगर, बेटे
हर बार बेटे ही बने देखे
इसलिए
जोर देकर कहूंगा
बेटियां तो ‘बेटियां’ ही होती हैं
बेटा बन गए, तो
क्या मालूम
फिर पीछे मुड़कर देखें न देखें….।
- धनेश कोठारी
कई बार देखा
बेटियों को बेटा बनते हुए
मगर, बेटे
हर बार बेटे ही बने देखे
इसलिए
जोर देकर कहूंगा
बेटियां तो ‘बेटियां’ ही होती हैं
बेटा बन गए, तो
क्या मालूम
फिर पीछे मुड़कर देखें न देखें….।
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कमेंट के लिए आभार, एक लेखक के लिए सराहना के ये शब्द ऊर्जा का काम करते हैं
बिल्कुल सही.. बेटियाँ तो बेटियाँ ही हो सकती हैं..