गढ़वाली-कविता
हाल (गढ़वाली कविता)
दाऽ
स्यु बीति
आजादी कु
पचासुं साल
ऊंड फुंड्वा
खादी झाड़िक
बणिगेन मालामाल/ अर
हम स्यु छवां
आज बि
थेकळौं पर थेकळा धारि
कुगत, कुहाल/ अर
कंगाल
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
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