गढ़वाली-कविता

पांसा (गढवाली कविता)

1
रावण धरदा बनि-बनि रुप
राम गयां छन भैर
चुरेड चुडी पैरौणान सीता
देळी मु बैठीं डौर

2
अफ्वीं बुलौंदी दुशासनुं द्रौपदा
कृष्ण क्य करू अफसोस
चौसर चौखाना दुर्योधनूं का
सेळ्यूं च पांड्वी जोश

3
टाटपट्टी मा एकलव्य बैठ्यांन
द्रोण मास्साब कि जग्वाळ
अर्जुन जाणान ईंग्लिश मीडियम
वाह रे ज्ञान कि खोज

4
येक टांग मा खडा भस्मासुर
शिवजी लुक्यां कविलासुं
मोहनी मंथ्यणि रैंप मा हिट्णीं
शकुनि खेन्ना छन पासों

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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