कहानियां
एक शराबिक सुपिन
सुन्यू फेन एक इन जवान छौ जै तैं शराब पीणौ ढब पोड़ी गे छौ अर पक्को दरयौड्या ह्व़े गे छौ. फेन वैकु असल नाम नि छौ.
दारु पीण से वैकी दिमागी हालत गडबड / कन्फ्यूजन/घंगतोळ मा रौंद त वैको नाम फेन (बिंडी कन्फ्यूज/बिंडी घंगतोळ ) पोड़ी गे. फेन अळगसी अर अर धन -फुक्वा ह्व़े गे छयो . ब्व़े बाबू से पंयीं अदा से जादा जायजाद खतम ह्व़े गे छे. हाँ ! अबि तलक लोकुं समज मा नि आयो बल फेन की जायजाद दारु, पातरूं (वैश्या ) ख़तम ह्व़े की कै हौरी वजै से जायजाद चम्पत ह्व़े । उन इन बात नी च बल फेन न क्वी हौर कामौ बारा म नि घडे ह्वाऊ. ऊ एक दें सरकारी मुलाजिम बि राई अर राजौ सेना मा रावत/ लेफ्टिनेंट बि ह्व़े गे छौ । पण जैक जोग इ खराब ह्वावन वैको भेमता बि क्या कौरी सकदि! उख सेना मा दारूबाजी अर अपण बड़ों बुल्युं नि मानणो
अभियोग मा वै तैं सेना की नौकरी से निकाळे गे। बस अब, फेन बेरोजगार अर आजाद मनिख छौ । फेन का दिन शराब पीण, अर अपण दगड़यौं दगड़ जीमण जामण व्यतीत होंदा छया. जन जन वैकी पीणे सामर्थ बढ़ तनि वै अनुपात मा वैकी जैजाद बि कम होंदी गे. जब कबि कब्यार फेन सुद मा रौंद थौ त आपन ज्वानि, सेना की रौब्दर्या नौकरी बारा म सोचदो छौ अर दगड़ मा निरसेक आंसू बि बौगांद छौ, पण जब दिबतौं रसौ झांझ मा होंद छौ त जम, मजा, मौज मस्ती इ सुजदि छे.
फेन अपण बूड खूडुञ कूड़ मा रौंद छौ जो बड़ो शहर से तीन चार मैल दूर छौ. कूड़ो चौक क अग्वाड़ी एक बड़ो, हौरु अर भौत पुराणो ‘टिड्डी‘ डाळ छौ. ये झपनेळु डाळौ छैल तौळ बैठिक फेन अर वैका दगड्या पेंदा छा अर बडी बडी जीमण -जळसा करदा छा.
इन डाळ भौत सालुं तलक जिंदु रौंद. कबि कबि क्या जदातर डाळौ मोरणो बद बी चालीस पचास साल पैथर जलडों बिटेन फांकी फुटदन अर फिर से डाळ जामी जान्द. फेन क कूड़ो समणयाक टिड्डी अ डाळ बि भौत बुड्या डाळ च अर एका फौन्टा कथगा दूर इना उनां जयां छन धौं ! हाँ डाळौ तौळ जमीन पुटुक खंड मंड हुयुं च. जलड़ भैर-भितर हुयां छन, जलड़ो पर गेड़ी पोड़ी छन. गंज मंज जलड़ो ढुड़्यार क्वारों भितर कुजाण कथगा किस्मौ कीडों ड़्यार/पेथण ह्वाल धौं.
एक दिन फेन न इथगा प्यायी बल वो रुण बिसे गे. वैन ब्वाल बल वो ये पुराणो बुड्या डाळ भावुक ह्व़े ग्याई. छ्वटु मा ये यि डाळ तौळ वैन ख्याल , वैको बुबा न ख्याल अर वैको ददा न बि ख्याल. अब वो बुड्या (हालांकि वैकी उमर तीसेक पेटा मा छे ) हूण बिसे गे. भावुकता मा फेन किराण बिसे गे . फेन क दगड्या साऊ अर तिएन वै तैं भितर ल्ही गेन. ऊँ दुयूं न फेन तैं पलंग मा पड़ाळ दे.
ऊंन बोली,” जा तू जरा से जा अर फिर तू ठीक ह्व़े जैल. हम तैबर तलक घ्वाड़ो तैं दाणा पाणी दीन्दा अर चौक मा अपण खुट धोंदवां . जैबर तलक तू भलो मैसूस नि करदी हम इखमी रौला.
फेन तैं जप जपाक समसट गैरी निंद ऐ गे. जनि वैका आंखि बुजेन कि वो क्या दिखदो बल वै तैं लीणो गुलाबी यूनिफ़ॉर्म मा द्वी भुर्त्या अयाँ छन. दुयूंन फेन तैं गंड गंड सिवा लगाई अर ब्वाल,” लोकुस्तानिया क रज़ा न आपौ कुण बधाई रैबार भ्याज. आप तैं राजमहल मा आणो न्यूत भिज्युं च. अर दगड़ मा एक रथ बि भिज्युं च. चौड़ चलो.!”
फटाफट फेन न बढिया टोपी पैर अर बिगरैलो गाउन पैर अर म्वार ऐथर ऐ गे. म्वार ऐथर बाट मा एक सुन्दर हौरू रथ वैको जग्वाळ मा खड़ो छौ.
रथ तैं खैंचणौ चार घ्वाड़ा जुत्यां छ्या, सात आट राज्महलौ भुर्त्या रथ मा वैकी जग्वाळ मा छ्या.
फेन को रथ मा बैठण छौ कि रथ जमीन तौळ वै उड़्यार पुटुक जाण बिस्याई जु उड़्यार टिड्डी क डाळौ जलडु से बणयूँ छौ.
वु खौंळयाणु छौ बल रथ जलडु पुटुक बगैर परेशानी छिरणु छौ. अर उड़्यार या ढुड़्यार क दुसर तर्फां बिगरैल- बिगरैलपाख पख्यड़, नदी, जंगळ छ्या.
य़ी सब अनोखा छ्या. पाख पख्यड़ो से अगनै एक सहर की बडी सी दीवाल छे जख बड़ा बड़ा उच्चो कूड़ छ्या. कोटद्वारौ /राजमहलौ गेट समणि लोकुं पिपड़कर लग्युं छौ.
लोग सड़कौ ढीस या ढीस्वाळ खड़ा छ्या जाण से राजरथ सडक मा बेदिक्कत अगनै जाणो राओ. लोक कनफणि सि आंख्युं न राजरथ अर राजौ पौण फेन तैं दिखणा छया.
गेट क भितर लोगुस्तानिया क क्वाठा भितर /राजौ महल छौ .
लम्बी भीड़ /दिवालौ भितर क्वाठा भितर मीलों लम्बू छौ. भितर रस्तों मा लोकुं पिपड़कारो/भीड़ छौ . सबि कामगति अर काम पर लग्यां छया,
खौंळेणो बात या छे बल सबि साफ़ अर मयळ प्रकृति का छया. सौब एक हैंका तैं रामा रूमी करणा छ्या पण कुनगस कि क्वी बि जु एक सेकंड से जादा रामा रूमी मा लगाणा छया,
इस लगणु छौ जन बुल्यां दिन छ्वटु ह्वाऊ अर हरेक तैं अपण काज पूरो करण जरूरी छौ. फेन कु समज मा नि आई कि लोक क्यांक बान इथगा व्यस्त छन. मजदूर अपण मुंड मा
बड़ा बड़ा गर्रू बुर्या लेकी जाणा छ्या. साफ़ साफ़ कपड़ों मा बिग्रैल, मजबूत, उंचा कद काठी क सैनिक अपण ड्यूटी पर लग्यां छया.
गेट पर वै तैं राजा क एक चाकर लीणो यूं छौ. वो चाकर फेन तैं एक बग्वान भितर ल्हीग जख सिरफ़ अर सिर्फ राजौ मैमान ठहरदा छ्या.
फेन तैं मेमानखाना अयाँ पांच मिनट बि नि ह्व़े होला कि चाकर न रैबार दे बल प्रधान मंत्री वै तैं मिलणो ऐ गेन .पधान न अर वैन एक हैंको तैं रामा रूमी कौर.
पधान न बोली बल वो फेन तैं राजा समणि लिजाणो अयूँ च
‘राजा क मंशा छ कि तेरो ब्यौ वो अपण दुसरी बेटी दगड कारन.” प्रधान मंत्री न बथाई
दड्या फेन न जबाब दे, ‘ साब मी यांक काबिल कख छौं!” पण भितर बिटेन फेन अपण भाग पर पुळयाणो /खुस होणो छौ.
“आखिर, म्यार भाग जग इ गे. ” वैन स्वाच,” अब मी लोकुं तै दिखौल बल फेन क्या कौरी सकुद .मी अब अफु तैं राजौ एक इमादार अर कामगति चाकर साबित करलु
अर लोकुं भलाई करलू. अब मेरी जिन्दगी उन बेतरतीब नि राली. अब मी लोखुं तैं दिखौलू कि मी क्यार कौर सकुद !“.
सौ गज दूर पधान मंत्री अर वो एक शानदार लाल अर सोना क कुंदा वळ गेट से भितर गेन. भितर गार्ड, सिपै बड़ा सावधानी मा खड़ा छ्या . जब कि अधिकारी बड़ा बढिया कपड़ों मा
राजगृह मा द्वी तरफ खड़ा ह्वेक वैकी आगवानी करणा छ्या. फेन न अबि तलक कबि बि अफु तैं इथगा महत्वपूर्ण नि देखी छौ. राजगृह मा पंगत मा लोगूँ दगड वैका दगड्या
चौ अर तिएन बि खड़ा ह्वेक वैको स्वागत करणा छया. फेन न ऊंक तर्फां हथ हिलाई. फेन सुचणो छौ जरुर वैक द्वी दगड्या जळणा होला!
प्रधान मंत्री फेन तैं लेकी सीडि चढीक एक बड़ो हाल मा आई. फेन न अंथाज लगै बल इख राजा लोगूँ तैं दर्शन दींदो ह्वाल. राजा क समणि एक चाकरौ बुलण पर
फेन न घूंड टेकिक राजा तैं सिवा लगाई.
” त्यार भग्यान बुबा जी क प्रार्थना पर मीन त्यारो ब्यौ अपण दुसरी बेटी याओफैंग क दगड़ करणो निर्णय ल्हें याल.. हमन निर्णय ल़े याल बल
याओफांग तेरी घर्वळि होली.” राजा न ब्वाल.
घंगतोळ मा अर ख़ुशी मा दरोड्या से कुछ नि बुले ग्याई.
“ठीक च अब कुछ दिन इख आराम कौर. ज़रा शहर देखी लेदी. म्यार प्रधान मंत्री त्वे तैं सौब जगा दिखे द्यालों. मी तैं ब्यौअ तयारी करण” “राजा इन बोलीक चली गे.
कुछ दिन परांत सरा शहर तैं सजाये गे अर राजकुमारी ब्यौ दिखणो बान लोगूँ जमघट लग्युं छौ. राजकुमारी बढिया कपड़ों अर जर जेवर मा सजीं छे.
राजकुमारी सेवा मा कुजाण कथगा बिगरैली चेली छै धौं! राजकुमारी बिगरैली, हुस्यार अर बढिया स्वभाव की छे. ब्यौअक रात राजकुमारी न बोलि,” मी अपण बुबा जी मंगन बोलीक इख कै बि महल की मांग कौरी सकुद. जु महल चयाणु च बोलि द्याओ. “
फेन न जबाब मा ब्वाल,’ सची बोलूं त मि त जनम भरो अळगसी छौं .मै तैं राजकाज जन कामों अनुभव बि नी च. अर ना इ मैं तैं राजपाट चलाणो क्वी ज्ञान च.”
“ह्यां! फिकर करणो बात कुछ नी च. मि तुमारि पूरी मदद करलू ” राजकुमारी न मयळ ह्वेक ब्वाल.
ए मेरी ब्व़े! यू त अति होणु छौ. दरोड्या न मन इ मन मा स्वाच बल राजकुमारी कजे होणो मतबल राजपाट चलाण. वु रुण चाणु छौ पण राजकुमारी तैं गलतफहमी नी ह्व़े जाओ क
डौरन वैन अपण अंसदरि रोकि दिने.
दुसर दिन राजकुमारी न अपण बुबा जी से बात कौर
राजा न ब्वाल, ‘ म्यार सुचण से मि वै तैं साउथब्लफ क सूबेदार/ गबर्नर बणै दीन्दो. उखाक गबनर तैं बदिन्त्जामी क वजै से बर्खास्त करे गे छौ अर जगा खाली च.
साउथबफ एक सुन्दर राज्य /जिला च पहाड़ी तौळ , दूण मा बस्युं च, इख जंगळ छन, बड़ा बड़ा छिंछ्वड़ छन अर जगा रौन्तेली च .”
राजा न अपण बेटी सणि अग्वाड़ी बिंगाई, ” इखाक लोक भला छन, नियम धियम का पालन करदारा छन. हाँ हम से जादा काळ जरूर छन पन सौब बीर अर मेनती छन.
लोग म्यार जवैं अर बेटी तैं शाशक देखिक खुस होला. वो त्वे से खुश राला. मी जाणदो छौं लोगुन खुस होण”
फेन साउथबफ अ सूबेदार बणणो खबर से पुळयाई . वै तैं यांक क्वी चिंता छे बि ना कि वै तैं कखाक सूबेदार बणाना छन जब तक राजकुमारी वैक दगड़ च.
“त अब मि साउथबफ अ सूबेदार छौं !” फेन न ब्वाल.
राजकुमारी न ठीक कार,” प्रिये! साउथबफ एक बड़ो राज्य च.”
” नाम से कुछ फ़रक नि पड़दो. नी?फेन न बोल.
हाँ फेन एकी राड़ छे बल वैका दुई दोस्तों चौ अर तिएन तैं वैक दगड सहायक का तौर पर रावन ! ऊंको साउथबफ जाण से पैल एक राजकीय बिदै जीमण
उरये गे अर फिर दुसर दिन राजा खुद ऊँ तैं बिदै देणो गीत तलक आई. राजकुमारी अर फेन तैं देखणो बाटऔ द्वी तरफ लोकुं भीड़ खड़ी छे. फेन अर राजकुमार राजकीय रथ मा छया अर जनानी
राजकुमारी ससुरास जाण पर रुणा छया. रथ गाजा बाजा क दगड छ्या. रथ का चारो तरफ सिपै छ्या.
जातरा तीन दिन मा ख़तम ह्व़े. साउथबफ द्वी झणो बडी आदिर खातिर ह्व़े.
दुयूं दिन एक साल तक बडी खुसी से गुजार. लोक भला, अनुशाशन प्रिय, अर कामगति छया. उख ना त छगटा छया, ना इ उख मंगत्या छया
भैर वळुञ लडै नि होंदी थै किलैकी लोक अपण हिफाजत करण मा काबिल छया जो अपण जान जोखिम मा डाळिक दुस्मनू जाण लीण मा
उस्ताद छया. पन इखाक लोक अपण आपस मा कतै नि लड़दा छया. राजकुमारी बडी सभ्य छे, भलि प्रकृति क छे, अर मयळि छे
फेन अळगसी छौ पण राजकुमारी क बुलण से लोगूँ समणि उदारण पेश करणो खातिर अब सुबेर उठदो छौ अर अपणो कर्तब्य निभान्दो छौ. हालांकि
वै तैं य़ी सौब पसंद नि छौ पण कौरी बि क्या सकदो छौ! ऊँ वैन दारुक बोतल अपण औफ़िस मा लुकईं त छन छे पण राजकुमारी क डौरन या
वीं तैं दिखाणो बान अफु पर काबू पाण सीखी ग्याई. राजकुमारी अ प्यार पाणो खातिर वो अनुशाशन मा रौण गिजण बिसे गे.
फेन मन तैं बुझान्दो छौ बल कुछ पाणो बान कुछ खतण पड़द.दुफरा मा वो , राजकुमारी अर वैका दगड्या बौण जांदा छया. राजकुमारी अर
फेन हथ मा हथ डाळिक घुमदा छ्या. हाँ, एक उड़्यार पुटुक बैठिक चौ अर तिएन क दगड दारु बि पे लीन्दो छौ अर उख वै तैं लग की राजकुमारी
क कजे हूणै भौत बडी कीमत दीण पड़नि च .
” अब एक बि बूँद ना हाँ! ‘ राजकुमारी वै तैं रोकदी छे.
दुन्या मा सबी चीज इकदगड़ी नि मिलदी इन सोचिक ज्यू मारिक वै तैं उठण पोड़दो छौ. राजकुमारी क ब्यौवार हेलो छौ, चौ अर तिएन
वैका सेक्रेटरी छया. अब जिंदगी मा याँ से जादा क्य चयाणो छौ. वो सोचदो छौ याँ से जादा जिन्दगी से कुछ नि मंगण चयेंद.
पण, एक बर्स भितर एक दिन राजकुमारी तैं ठंड लग अर वा मोरी गे. फेन तैं राजकुमारिक मोरण सहन नि होई अर वैन फिर से दारु
पीण शुरू कर डे. वै तैं इथगा सदमा लग बल वैन सुबेदारी छुड़नो सीआरस कर दे. वैन पण बचत से एक पख्यड़ मा राजकुमारिक याद मा एक मकबरा बणायि .
तीन मैना तक मकबरा समणि ओ रुणु राई.
राजकुमारिक मरणो परांत कुछ बि ठीक नि चौल. ओ दारुक दूकान मा जांद छौ अर रात दिन पीण लगी गे. राज अपण बेटी क मरणो कारण फेन कुणि कुछ
बोदू छौ. हालांकि फेन क दुर्ब्यव्हार की खबर राजा म जाणि रौंदी छे अर राजा नि चांदो छौ की फेन की बेज्जती करे जाव. अब फेन क दरोडया प्रकृति क
वजै से लोक अर वैक दगड्या सनै सनै कौरिक वै तैं छुडण बिसे गेन . अब फेन कंगाल बि ह्व़े गे छौ अर चौ अर तिएन मंगन उधार मंगण बिसे गे.
एक दिन वो सरा रात शराबौ नशा मा बीच रस्ता मा पड़यूँ राई . या बात सूणिक राजा न बोल,” साला तै निकाळो भैर! राष्ट्र पर वो एक धब्बा च।”
राणी न फेन तैं बुलै आर ब्वाल,” राजकुमारी क मरण से तुम भौत दुखी छंवां. बदलौ बान कुछ दिन तुम अपण घौर किलै नि जांदा?”
फेन न जबाब मा ब्वाल,” म्यार ड्यार कख च?”
राणी न ब्वाल,” दुःख मा तुम अपण घौर बि बिसरी गेवां. तुमर गांवक नाम क्वांगलिंग च. हम द्वी चार चाकर दगड मा भेजी दींदवां.”
अब फेन तैं अपण गां क्वांगलिंग याद आयो.
द्वी चाकर अयाँ छया. हाँ अबैं दें गेट ऐथर पुराणो रथ छौ . क्वी बि सिपै दगड मा जाणो नि छौ. इख तलक की क्वी बि मिलणो नि आई.
फेन समजी गे बल इख राजपाट का दिन खतम ह्व़े गेन .
ड़्यार बौड़द दें अब वै तैं याद आई की यूँ इ रस्तों से ओ आई छौ. अब ओ अपण घौर ऐ गे छौ . चाकरू न वै तैं एक पलंग मा धकयाई अर
एक चाकर न बोल,” ले त्यार ड्यार ऐ गे.‘
अररर फेन बिज़ी गे. फेन न द्याख बल वैक द्वी दगड्या चौक मा खुट धूणा छया. घाम अछल्याण वाळ इ छौ.
फेन जोर से चिल्लाई , ” हत ! या बि क्या जिन्दगी च!”
चौ अर तिएन न पूछ,” ए भै फेन! टु इथगा चौड़ किलै बिज़ी भै?”
” क्या इथगा जल्दी? मी त एक पूरी जिन्दगी बितै क ऐ ग्यों.” फेन न ब्वाल.
फेन न दुयूं मा अपण सुपिन बारा मा बताई. फेन न बोल,” आफर इखम रथ ऐ छौ. इखम ..”
चौ न ब्वाल, ” जरुर त्वे पर डाळौ भूत लगे गे।‘
फ़ेन् न बोल,” जा आबी तुम अपन घौर जाओ आर भोळ ऐ जैन “
दुसर दिन फेन न अपण नौकरूं कुण कुलाड़ी अर गैंती-सब्बळ लेक ‘टिड्डी‘ डाळौ जलड़ कटण अर ढुढयार खुदणो हुक्म दे.
नौकरूं न जब डाळौ बड़ा बड़ा जलड़ काटी न त पाई की उख एक उड़्यार च. उड़्यार पुटुक छ्वट रूप मा एक बड़ो शहर छौ.
राजमहल माटो रूप मा छौ. अर राजमहल क चरों ओर किरम्वळ रिंगणा छया. एक छत मा द्वी बडी बडी सिपड़ी बैठीं छे.यूँ सिपड्यो
सुफेद फकर छया अर लाल मुख छौ. अर भौत सा किरम्वळ सिपै रूप मा जगा की रख्वळि करणा छया.
” ओ ट या च लोकुस्तानिया क राज च अर यो राजा क महल च जख राजा बैठद छौ.” फेन न पुळे क ब्वाल. पण दगड म खौंळयाणो बि छौ.।
उख उड़्यार पुटुक एक रस्ता दखिण ज़िना जाणो छौ अर उख माटो इनी टीला बण्या छन जन साउथबफ छौ. इख क किरम्वळ जरा काळा छ्या .
वैन द्याख की एक जगा मा हरो मौस क टीला छौ , फेन समजी गे की यो इ जंगळ च जख वो अर राजकुमारी घुमणो आंदा छया. सौब उनि छौ जन
वैन सुपिन मा देखी छौ. हाँ सब छ्वटा छ्वटा आकृति मा छ्या. वै तैं राजकुमारी क याद आई अर दुखी ह्व़े गे, वो जाणदो छौ वो सब सुपिन छौ
बिज्यूँ स्थिति या सुपिनो स्थिति मा ह्वाव प्यार प्यार इ होंद
वैन अपण दगड्यों मा ब्वाल,’ मि त समजणो छौ बल यो सौब सुपिन च . पण यू असल मा लोकुस्तानिया राज च. सैत च हम सब सुपिनेर छंवां”
वै दिन बिटेन फेन फेन नि रै गे . वो एक फकीर बणि गे पण हौर बि जादा पीण लगी गे.अर इनी तीन साल मा मोरी गे.
कथाकार- ली कुंग-त्सो
भावानुबाद – भीष्म कुकरेती
(मीन चीन की भौत सी पुराणि कथा बंचिन .सब मजदार छन. नवीं सदी मा ली कुंग-त्सो क रचीं कथा ‘एक शराबी सुपिन‘
या दक्खिण सूबौ सूबेदार ‘ कथा मा इन बात च ज्वा कै बि जगा अर कै बि मनिख पर फिट ह्व़े जांद)